भारत सरकार लगातार आत्मनिर्भर भारत की बात करती आ रही है। आत्मनिर्भर भारत का अर्थ है कि भारत वासियों को अपनी आवश्यकता के लिए किसी दूसरे देश पर ज्यादा निर्भर न रहना पड़े। यानी कि दैनिक उपयोग की जाने वाली कुछ वस्तुओं का हम स्वयं निर्माण करें। ऐसा ही एक काम 12 साल का अरुणाचल प्रदेश में रहने वाला एक बच्चा कर रहा है। हम बात कर रहे हैं कक्षा सातवीं में पढ़ने वाले नगुरंग ताया की। आप सोच रहे होंगे कि सातवीं कक्षा में तो बच्चे खेलते कूदते हैं। अपने बचपन का आनंद लेते हैं। लेकिन नहीं अपनी इस उम्र में नगुरंग ताया एलईडी बल्ब का कारोबार करते हैं और इसी के साथ वे अपने पिता के नक्शेकदमों पर चलते हुए आगे बढ़ रहे हैं। नगुरंग ने एलईडी बल्ब की मरम्मत का हुनर अपने पिता की देखरेख में ही सीखा है।
बताया जाता है कि नगुरंग ने एक बार अपने पिता से जिद की कि वो एलईडी बल्ब को खोलकर देखना चाहते हैं। पिता नगुरंग ताया के सामने बल्ब को खोलकर दिखाया जिसके बाद नगुरंग ताया ने उनसे उस बल्ब के निर्माण के बारे में सवाल करने शुरू कर दिये। जिसके बाद पिता ने खुद ही नगुरंग ताया को बल्ब की निर्माण प्रक्रिया समझाई।
जानकारी के अनुसार उनके पहली बार बताने के साथ ठीक 15 मिनट के भीतर ही नगुरंग ताया एलईडी बल्ब का निर्माण करना सीख चुके थे और उसके बाद से वो लगातार एलईडी बल्ब का निर्माण कर रहे हैं। आपको बता दें कि नगुरंग यहीं पर नहीं रुके उन्हीने अपने चचेरे भाई को भी एलईडी बल्ब बनाना सिखा दिया। और अब यह दोनों भाई मिलकर एलईडी बल्ब बनाने का काम कर रहे हैं। अपने इस खास व्यापार के साथ ताया अब भविष्य में एक सफल आंत्रप्रेन्योर बनने का सपना देख रहे हैं। ऐसा नहीं है कि उन्होंने सिर्फ व्यापार करने के बारे में ही सोचा है अपने इस व्यापार के साथ-साथ वे अपनी पढ़ाई को भी काफी गंभीरता से लेते हैं। उन्होंने अपनी इस एलईडी बल्ब की कंपनी को किमिन नाम दिया है।