उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए घटनाक्रम के बाद अब नए राज खुलने लगे हैं। पहले खुफिया एजेंसियों के हवाले से खबर आई थी कि उत्तर प्रदेश में जातीय हिंसा फैलाने और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए एक बड़ा गिरोह काम कर रहा था। जिस के सच्चे सबूत मिले जब आगरा के पास से चार लोगों को पकड़ा गया जो पीएफआई के सहयोगी संगठन सीएफआई के सदस्य थे और जिनके पास से कई दंगाई साहित्य, लैपटाप तथा प्रधानमंत्री मोदी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दुर्भावनाओं को व्यक्त करने वाली वस्तुएं पाई गई। अब इस पूरे मामले पर यह भी बताया जा रहा है कि हाथरस कांड की आड़ में उत्तर प्रदेश का माहौल बिगाड़ने के लिए जस्टिस फॉर हाथरस नाम से भी एक वेबसाइट बनाई गई थी।
जिसके लिए कई देशों से फंडिंग भी की जा रही थी अब इस पूरे मामले में उत्तर प्रदेश की विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक का कहना है, ” वेबसाइट बनाने का मामला सरकार के संज्ञान में है वेबसाइट को एहतियातन बंद कर दिया गया है। और इसकी जांच भी चल रही है। बृजेश पाठक ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था खराब करने की साजिश लगातार रची जा रही है। उत्तर प्रदेश विकास की ओर तेजी से बढ़ रहा है और यह कुछ लोगों को पसंद नहीं है ऐसे लोगों का जल्द ही पर्दाफाश किया जाएगा और इस मामले में जांच के बाद कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ”
एक तरफ सरकार हाथरस मामले के पीछे उत्तर प्रदेश को दंगे में झोकने वाली बात कह रही है तो वहीं विपक्षी पार्टियां लगातार हाथरस कांड पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है। पूरे घटनाक्रम को जातिवाद के द्वारा बांटने की कोशिश की जा रही है। यहाँ तक कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर भी जातिवाद करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। भीम आर्मी, बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के लोग न्याय मांगने की बजाए, देश के माहौल को खराब करने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। वहीं अब इस मामले में नई चीजें सामने आ रही है, आज सुबह ही आरोपियों ने एक पत्र लिखकर एसपी से इस मामले में उचित न्याय करने की बात कही थी। आरोपियों का कहना है, “हम सभी निर्दोष हैं और पीड़िता को पीड़िता की मां तथा उसके भाई ने मारा है, क्योंकि उन्हें मेरी और पीड़िता की दोस्ती पसंद नहीं थी!” परिवार वालों ने भी आरोपियों की जान को खतरा बताया है उनका कहना है कि लगातार जेल में नेता मिलने जा रहे हैं इसका मतलब है कि हमारे बच्चे वहां सुरक्षित नहीं है। पहले आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह भी इस मामले पर राजनीति करने हाथरस आए थे जिसके बाद उनके ऊपर लोगों ने काली स्याही फेंकी थी। और उन्हें पीएफआई का एजेंट बताया था।
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