चीन और भारत के बीच बढ़ रहे विवाद को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसा फैसला लिया है जो निश्चित रूप से चीन को एक आर्थिक झटका देने में अहम भूमिका निभाएगा। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के चलते उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने फैसला लिया है कि यूपी के किसी भी प्रोजेक्ट में अब चीनी कंपनियां सीधे तौर पर टेंडर नहीं डाल सकेंगीं। राज्य सरकार ने अपने सभी विभागों को भी यह आदेश जारी कर दिया है कि किसी भी सरकारी खरीद में चीन समेत कुछ निश्चित देशों के बिल्डर्स और कंपनियां शामिल नहीं हो सकेंगी।
उत्तर प्रदेश में अपने सभी विभागों को इस आदेश से संबंधित पत्र भी जारी कर दिया है। इस मामले में सरकार प्राधिकरण का गठन करेगी, जिसमें संबंधित देशों की कंपनियों को पंजीकरण कराना होगा। यहां रजिस्ट्रेशन से पहले इन कंपनियों को रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से राजनैतिक अनुमति लेनी होगी। केंद्र की अनुमति के पश्चात राज्य में पंजीकरण होगा और उसके बाद हर 3 महीने के अंतराल पर राज्य की ओर से एक रिपोर्ट को केंद्र सरकार की ओर भेजा जाएगा। इससे पहले भी राज्य सरकार ने कुछ चीनी कंपनियों को टेंडर देने से इनकार कर दिया था। यूपी सरकार के साथ-साथ भारत सरकार ने भी रेलवे और अन्य क्षेत्रों में चीनी कंपनियों की भागीदारी पर रोक लगा दी है। सड़क-परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बड़े रोड प्रोजेक्ट में भी चीन की एंट्री को रोक दिया था। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन की चालबाजी को किसी भी सूरत पर कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।