नेपाल और भारत के बीच सीमा विवाद किसी से भी छिपा नहीं है। नेपाल हमारा पड़ोसी देश होने के अलावा हमारा सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मित्र भी है। इसीलिए ऐसा माना जा रहा है कि भारत और नेपाल के सीमा विवाद को समाप्त करने का एक रास्ता गुरू गोरक्षधाम (गोरखनाथ धाम) से होकर भी जाता है क्योंकि गोरखनाथ धाम का नेपाल से गहरा नाता है।
विद्वानों के अनुसार नेपाल का राजवंश गुरु गोरक्षनाथ धाम को अपना राज गुरु मानता है। नेपाल के लोग यह मानते हैं कि नेपाल के राजवंश का उद्भव गुरु गोरखनाथ की कृपा से हुआ था। यहाँ तक नेपाल में एक जिले “गोरखा” का नाम गुरु गोरखनाथ जी के नाम पर ही रखा गया था।
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर होने के नाते कई बार नेपाल आते जाते रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सुझावों और उनकी बातों का नेपाल की जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता रहा है। वहाँ के सभी राजनीतिक दल मंदिरों में आस्था रखते हैं। महंत दिग्विजय नाथ और महंत अवैद्यनाथ भी कई बार नेपाल जा चुके हैं।
आदित्यनाथ की नेपाल को चेतावनी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नेपाल को पहले भी चेतावनी दे चुके हैं उन्होंने कहा नेपाल को अपनी राजनीतिक सीमाएं तय करने से पहले उनके परिणाम के बारे में सोच लेना चाहिए। उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि तिब्बत देश का क्या हुआ था!
इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेपाल के बारे में कहा कि, “भारत और नेपाल भले ही अलग-अलग देश हैं लेकिन यह दोनों देश सांस्कृतिक रूप से एक ही हैं!” योगी ने नेपाल की सरकार से कहा कि, “वह रिश्तों के आधार पर निर्णय करें अन्यथा वह तिब्बत का हश्र याद रखें।”