वैश्विक महामारी कोरोना ने जब भारत में दस्तक दी थी तो इस बीमारी से पार पाने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर थी। लगभग 23 करोड़ की जनसंख्या वाले देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अगर कोरोना का संक्रमण तेजी से फैलता तो आज भारत की स्थिति और भयानक हो सकती थी। लेकिन अपनी राजनैतिक परिपक्वता, सामाजिक अनुभव, कुशल नेतृत्व और फैसले लेने की तत्परता से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ना सिर्फ अपने राज्य के लोगों को इस समस्या से बाहर निकालने में बहुत हद तक सफलता प्राप्त की बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी उदाहरण पेश किए।
चिकित्सा क्षेत्र में संसाधनों की व्यवस्था स्थापित करने की बात हो या फिर इस संकट और चुनौतीपूर्ण समय में प्रदेश के लोगों में सरकार के प्रति विश्वास जगाने की, सीएम योगी ने हर मोर्चे पर खुद को साबित किया। दिल्ली, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य जहां कोरोना के सामने अपनी अर्थव्यवस्था को नहीं बचा पाए, वहाँ योगी ने ना सिर्फ आर्थिक संभावनाओं को पटरी पर लाने का काम किया बल्कि इस आपदा को अवसर में बदल कर हर किसी को आश्चर्यचकित कर दिया। कोरोना महामारी के बीच भी प्रदेश की सरकार ने कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और अफसरशाही पर भी सामानांतर रूप से लगाम कसने में सफल रहे। यही कारण है कि प्रदेश की योगी सरकार पर सिर्फ उत्तर प्रदेश की जनता का ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के लोगों का भी विश्वास बढ़ा है। सभी ने ये माना कि कोरोना महामारी के बीच योगी सरकार सबसे सफल सरकार के तौर पर सामने आई है। कोरोना काल से लेकर कानून व्यवस्था को बेहतर करने तक, योगी आदित्यनाथ ने पूरी तरह से यूपीवासियों का दिल जीत लिया है।
प्रवासी मजदूरों को दिया नया जीवन
इस आपदा के समय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मजदूरों को नया जीवन दिया। कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में जहां दिल्ली सरकार ने बिना किसी व्यवस्था के लाखों मजदूरों को यूपी पलायन करने पर मजबूर कर दिया था, उन मजदूरों को मुख्यमंत्री योगी ने सकुशल उनके घरों तक पहुंचाया। योगी राज में करीब 20 लाख प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी हुई। इतना ही नहीं, पलायन कर अपने घर पहुंचे इन मजदूरों को प्रदेश की सरकार ने रोजगार भी मुहैया कराया। आर्थिक पैकेज के ऐलान के बाद तो योगी आदित्यनाथ की छवि यूपी के हर शख्स में दिलों में घर कर गई।
एक ही झटके में बदली यूपी की छवि
पलायन के कलंक को हटाकर एक ही झटके में योगी सरकार ने प्रदेश की छवि को अपने प्रभावी एवं कुशल नेतृत्व से पूरी तरह बदल कर रख दिया। मुख्यमंत्री योगी ने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को एक समस्या के रूप में नहीं, बल्कि एक अवसर के रूप में देखा। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के बाद सरकार ने आर्थिक गतिविधीयों पर जोर दिया और प्रदेश की जनता एवं प्रवासी मजदूरों के लिए कई बड़ी घोषणाएं कीं। श्रमिकों के लिए सस्ती दर पर दुकान एवं आवास देने के लिए नीति बनाई गयी। साथ ही कोरोना के चलते अपना रोजगार खो चुके लोगों की सूची तैयार कर उनके लिए रोजगार मुहैया कराने का काम लगातार किया जा रहा है।
1000 करोड़ के कोविड फंड की स्थापना
कोरोना के खिलाफ लड़ाई काफी लंबी चलने वाली थी। जिसे देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत ही कोरोना से निपटने के लिए 1000 करोड़ के विशेष कोविड केयर फंड की स्थापना कर दी थी। इस फंड का उपयोग राज्य के मेडिकल कॉलेजों में टेस्टिंग लैब की संख्या बढ़ाने, क्वारंटाइन वॉर्ड, आइसोलेशन वॉर्ड, वेंटिलेटर की व्यवस्था करने के साथ-साथ N-95 मास्क, पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट (PPE) और सैनिटाइज़र बनाने के कामों में किया गया।
अधिकारियों को मिले कड़े निर्देश
इसी कड़ी में उन्होंने प्रदेश के सभी आलाकमान अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए चेता दिया गया था कि किसी भी लापरवाही को सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। हर दिन प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री योगी ने बैठक की। नोएडा में जहां सबसे ज्यादा लापरवाही देखने को मिली, वहाँ के DM को योगी सरकार ने खुद नोएडा जाकर रातोंरात हटा दिया था। यही कारण रहा कि इस महामारी के खिलाफ अधिकारी पूरी तरह से मुस्तैद नज़र आए।
कानून व्यवस्था में भी अव्वल रहा उत्तर प्रदेश
कोरोना काल में रोकथाम से लेकर कानून व्यवस्था तक, पूरी दुनिया ने सीएम योगी का जलवा देखा। लॉकडाउन के समय दिल्ली और महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था में पूरी तरह से ढील दे दी गयी थी। जिसका नतीजा ये निकला की दोनों ही राज्यों की स्थिति सरकार के हाथ में नहीं रही। लेकिन उत्तर प्रदेश की तस्वीर कुछ अलग दिखी। कोरोना की भयावहता को देखते हुए योगी ने पुलिस को लाॅकडाउन का कड़ाई से पालन कराने के लिए पूरी छूट दे दी थी। मनचलों के खिलाफ यूपी पुलिस ने कड़ी कार्यवाही की। सभी जिलों के DGP और DSP रैंक के अधिकारियों ने खुद कई बार स्थिति का जायज़ा लिया। मनचलों और हुड़दंगियों के खिलाफ लाठीचार्ज और कड़ी कार्यवाही करने के अलावा पुलिस प्रशासन ने जरूरतमंदों और पीड़ितों की ओर मदद का हाथ भी बढ़ाया। कुछ लोगों को छोड़ दें तो सामान्य जनता पूरी तरह योगी आदित्यनाथ के इस मॉडल के साथ खड़ी दिखाई दी।
दूसरी तरफ CAA को लेकर दिल्ली समेत देशभर के कई राज्यों में उपद्रवियों ने जमकर बवाल काटा, तो वहीं उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था के आगे दंगाइयों की एक ना चली। जिन लोगों ने प्रदर्शन करने की कोशिश की, योगी सरकार ने उनके पोस्टर्स चौराहों पर लगवा दिए। अयोध्या फैसले के बाद भी उत्तर प्रदेश में शांति का माहौल बना रहा। जिस यूपी को अपराधों का गढ़ माना जाता था वहां आज प्रदेश की जनता बेफिक्र होकर घरों से बाहर निकलने लगी है। जिसका पूरा श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जाता है। उत्तर प्रदेश अब हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में अपराधियों के अंत के साथ रोजगार के पर्याप्त अवसर और प्रदेश को नयी पहचान मिलेगी।