महिलाओं ने लिखा राष्ट्रपति को पत्र, महिला आरक्षण को ख़त्म करने की लगाई गुहार

मध्य प्रदेश की करीब 200 महिला अभ्यर्थियों ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं में महिला आरक्षण को रद्द करने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। यह पत्र ईमेल के जरिए माननीय राष्ट्रपति तक पहुंचाया गया है।

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भारत में महिला आरक्षण का मुद्दा बहुत सालों से गर्मा रहा है और लगातार महिला आरक्षण को विभिन्न क्षेत्रों में लागू करने की मांग भी होती रही है। वहीं एक आश्चर्य चकित करने वाली खबर आ रही है कि मध्य प्रदेश की करीब 200 महिला अभ्यर्थियों ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं में महिला आरक्षण को खत्म करने के लिए, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से गुहार लगाई है यह मांग ईमेल के जरिए की गई है। यह सभी महिलाएं पीसीएस की परीक्षाओं में अभ्यर्थी रह चुकी हैं। इनका आरोप है कि 30% महिला आरक्षण की विसंगति की वजह से महिलाओं को लाभ मिलने की बजाय उनके चयनित होने के अवसर सीमित हो गए हैं।

अभ्यर्थियों के ई-मेल के बाद राष्ट्रपति सचिवालय के अंडर सेक्रेट्री अशोक कुमार ने प्रदेश के मुख्य सचिव को मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले को लेकर हाई कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जा चुकी है। और मामले का नेतृत्व कर रही रतलाम की सुनीता जैन राज्य सेवा परीक्षा में साक्षात्कार के दौरान बाहर हो चुकी हैं। 1997 महिला आरक्षण लागू करने के बाद पीसीएस में आरक्षण पर प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग से निर्देश मांगा था। विभाग ने पीसीएस को पत्र लिखकर निर्देश दिया था कि जो महिलाएं प्रवीण्य सूची में चयनित हो उन्हें भी आरक्षित सीटों पर गिना जाए। इस नियम को गलत बताते हुए सुनीता जैन कहती हैं कि आरक्षण का सामान्य फार्मूला है कि प्रवीण्य सूची में आने वाले अभ्यर्थियों को अनारक्षित सीटो पर चयनित किया जाता है।

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