कश्मीर में महिला जवानों की तैनाती ने ये सिद्ध कर दिया है कि महिलाएं घर संभालने के अलाबा सरहदों पर शत्रुओं को भी संभाल सकतीं हैं। दरसल भारतीय सेना के द्वारा असम राइफल्स को बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी है।आतंक विरोधी अभियान को तेज करने के लिए इन महिला जवानों की तैनाती कश्मीर के गांदरबल इलाके में की गई है। महिलाओं तथा बच्चों की तलाशी के लिए इन्हें मोटर व्हीकल चेकपांइट पर तैनात किया गया है। इसके अलाबा घरों में किये जा रहे सर्च ऑपरेशन में महिला जवानों को मदद करने के लिए भेजा गया है।
महिला सुरक्षाकर्मी ज्योत्सना का कहना है कि अभियान के दौरान हम ध्यान रखते हैं कि इससे महिलाओं को समस्या का सामना न करना पड़े। तलाशी के बाद हम उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाते भी हैं। हमें उम्मीद है कि कश्मीरी लड़कियां भी प्रेरित होंगी और देश की सेवा के लिए सेना में शामिल होंगी। महिला सुरक्षाकर्मी रुमान रूपाली का कहना है कि हम पुरुषों की तरह ड्यूटी करती हैं। हम घेराबंदी और तलाशी अभियान में जाते हैं। हम डरने वाले नहीं हैं और चुनौती भरे काम से खुश हैं। हम स्थानीय महिलाओं की सेवा के लिए यहां हैं।
दैनिक भास्कर में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार एक सीनियर अधिकारी ने कहा है कि महिला जवानों के आने से तस्करी को रोकने में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि कुपवाड़ा में पुरुष सैनिकों के लिए महिलाओं की तलाशी लेना संभव नहीं था। यह काम महिला सैनिकों ने अच्छे से किया। इनकी तैनाती से कश्मीर में महिलाओं की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।
आप सभी को जानकर ख़ुशी होगी कि भारत की महिलाएं अब बढ़चढ़कर राष्ट्र की रक्षा में अपना सर्वस्व निछावर करने को तैयार है। हाल ही में करीब 2000 कश्मीरी लड़कियों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के लिए भर्ती रैली में भाग लिया था। यह भर्ती 650 पदों पर थी। इसके लिए कश्मीर और जम्मू से 650-650 महिलाओं की भर्ती की जा रही है।