लिपूलेख-धाराचूला मार्ग शुक्रवार से शुरू होने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं की मुश्किल हुई आसान एक हफ्ते में पूरी होगी यात्रा

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उत्तराखंड में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर लिपूलेख-धाराचूला 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का उद्घाटन शुक्रवार को किया। इस मार्ग के खुल जाने से कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं की मुश्किल अब आसान हो गयी है। तीन सप्ताह का समय लगने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा को यात्री एक ही हफ्ते में पूरा कर लेंगे। यह रोड घाटियाबगड़ से शुरू होते हुए, लिपूलेख में खत्म होता है। यहीं से कैलाश मानसरोवर का आगाज होता है। अधिक उम्र के यात्रियों के लिए पहले यह यात्रा बहुत मुश्किल होती थी। अब यह यात्रा वाहनों से की जा सकेगी। लोगों को अब 5-6 दिन तक चढ़ाई करने की जरूरत नहीं है। यात्रा के लिए दो रूट हैं। एक लिपुलेख से और दूसरा सिक्किम में नाथुला से। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, ”मानसरोवर यात्रा के लिए आज एक लिंक रोड का उद्घाटन करके खुशी हुई। बीआरओ ने धारचूला से लिपूलेख (चीन बॉर्डर) को जोड़ने की उपलब्धि हासिल की है, इसे कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट के नाम से जाना जाता है।”

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वाहनों के एक जत्थे को पिथौरागढ़ से गुंजी के लिए रवाना किया गया। कैलास मानसरोवर की यात्रा का अधिकतर 84 प्रतिशत रास्ता भारत में है, जबकि 16 प्रतिशत हिस्सा चीन में है। दिल्ली से लिपुलेख की दूरी 750 किलोमीटर है। सड़क बनने के बाद लगभग 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख तक पहुंचना पहले से आसान हो गया है। अब दिल्ली से लिपुलेख तक दो दिन में वाहन से पहुंच सकेंगे। सड़क नहीं होने से पहले इस दूरी को तय करने में आठ दिन लगते थे। लिपुलेख से कैलास मानसरोवर की दूरी बस 95 किलोमीटर ही है। इस सड़क की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) वर्ष 2005 में तैयार की गई थी, तब इसकी लागत 80.76 करोड़ थी, जो बाद में बढ़कर 439.40 करोड़ हो गई। राजनाथ सिंह ने बीआरओ को बधाई देते हुए कहा कि संगठन ने पिछले कुछ सालों में सीमांत इलाकों को जोड़ने का बेहतरीन काम किया है। बीआरओ चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि अधिक ऊंचाई, भारी बर्फबारी और साल में केवल 5 महीने काम करने लायक होने की वजह से इस सड़क का निर्माण बहुत चुनौतीपूर्ण था।

Image Source: Tweeted by @rajnathsingh

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