Content decribing : उत्तर प्रदेश में विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत न जाने किस राह पर जा रही है? लगातार उत्तर प्रदेश में कई ब्राह्मणों की हत्या हुई। जिससे ब्राह्मण समाज में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया। समाजवादी पार्टी जो कि हमेशा से ही जाति और धर्म की राजनीति करती रही है। उसने यह ऐलान किया है कि अब हम ब्राह्मणों को अपनी ओर आकर्षित करेंगे। ब्राह्मणों को अपने खेमे में लेने के लिए अभिषेक मिश्रा जो कि समाजवादी सरकार में मंत्री रह चुके हैं उन्होंने बताया, “लखनऊ में भगवान श्री परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति लगाई जाएगी और इसके साथ ही एक शैक्षिक अनुसंधान केंद्र की स्थापना भी समाजवादी पार्टी करेगी।”
अभिषेक मिश्रा ने बताया, “इस परियोजना को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है और परशुराम चेतना पीठ इस परियोजना की देखरेख करेगी। इसके लिए हम अभी मूर्तिकारों से बातचीत कर रहे हैं। शैक्षिक अनुसंधान को गुरुकुल की अवधारणा पर संचालित किया जाएगा।”
समाजवादी पार्टी के इस कदम को उत्तर प्रदेश की राजनीति में मास्टर स्ट्रोक की तरह माना जा रहा है। यह माना जा रहा है कि अगर उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण समाजवादी पार्टी की ओर आकर्षित हो गए तो अगली सरकार उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की बन सकती है। इसी तरह की राजनीति तब देखी गई थी जब मायावती ने दलित और ब्राह्मणों को एक करके पूरे विश्व में एक नई राजनीति को जन्म दिया था। लेकिन समाजवादी पार्टी के साथ यह नया नहीं है, समाजवादी पार्टी सदैव ही जाति-धर्म की राजनीति करती रही है। समाजवादी पार्टी ने हमेशा ही मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति को एक नए आयाम पर पहुंचाया। जिसके कारण आज उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश की सरकार में नहीं है।