कोरोना वायरस को लेकर जो रोज नए-नए तथ्य सामने आ रहे हैं, उसको लेकर पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ नाराजगी है। कई रिपोर्ट तो ये कहती है कि चीन को पिछले साल अगस्त में ही इस जानलेवा वायरस के बारे में पता चल गया था। इधर चीन इस समय लद्दाख में भारत से उलझने के मूड में है पर भारतीय सेना के साहस से चीनी सैनिको को झुकना पड़ा। कहीं न कहीं हमेशा से मित्र देश रहा नेपाल आज जिस वामपंथी शासन में भारत की ओर तिरछी नजरों से देख रहा है, उसके पीछे भी ड्रैगन की दगाबाजी है, इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
लेकिन, इतना सबकुछ होते हुए भी ये कहना कि भारत को चीन के उत्पादों का बहिष्कार कर देना चाहिए, क्या ये संभव है आइए समझने की कोशिश करते हैं। चीन के खिलाफ हमारी भड़की हुई भावना एक तरफ है और सच्चाई दूसरी तरफ। हम यहां पर 10 तथ्य रख रहे हैं, जिसको देखने के बाद आपको भी अंदाजा लग जाएगा कि भावनात्मक होकर ऐसी बातें कह देना अलग है, लेकिन जब हकीकत से सामना करना पड़ता है तब असली चुनौती मिलती है।
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1• अपने कुल निर्यात का सिर्फ 3% भारत भेजता है चीन
चीन का जितना कुल निर्यात है उसका 3% भारत को भेजता है, उसमें भी भारत का स्थान सातवां हैं। चीन का सबसे बड़ा आयातक देश अमेरिका है। उसके बाद हॉन्ग कॉन्ग, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम , जर्मनी और उसके बाद भारत का स्थान आता है। चौंकाने वाली बात ये है कि नीदरलैंड जैसे छोटे से यूपोपीय देश को भी चीन लगभग उतना ही निर्यात करता है, जितना भारत को करता है।
2. भारत के आयात में सबसे टॉप पर है चीन
भारत सबसे ज्यादा आयात चीन से ही करता है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने चीन से करीब 70 बिलियन डॉलर का आयात किया। कुल मिलाकर भारत जितना भी आयात करता है उसका लगभग 14 फीसदी चीन से मंगवाया जाता है। जबकि, अमेरिका का स्थान उसके बाद आता है और उसकी हिस्सेदारी चीन से लगभग आधी है। फिर यूएई और सऊदी अरब का स्थान है।
3• भारत से निर्यात के मामले में चीन तीसरे नंबर पर
भारत अमेरिका और यूएई के बाद सबसे ज्यादा चीन को ही निर्यात करता है। पिछले वित्त वर्ष में भारत ने चीन को करीब 16 बिलियन डॉलर के सामानों का निर्यात किया। चीन भारत के सीफूड, पेट्रोकेमिकल्स, जेम्स और ज्वेलरी का बहुत बड़ा खरीदार है।
4• भारत दवा के मामले में एक तरह से चीन पर ही निर्भर है।
70% API चीन से ही आयात करता है। Paracitamol समेत कम से कम 6 अहम दवाइयों के लिए भारत पूरी तरह से चीन पर ही निर्भर है।
5• इसी तरह भारत का 60 फीसदी से ज्यादा इलेक्ट्रिक सामान चीन से ही आते हैं।
6• भारत से 5 गुना बड़ी है चीन की अर्थव्यवस्था
चीन की GDP 14 ट्रिलियन से ज्यादा की है जबकि, भारत अभी 5 ट्रिलियन GDP के सपने बुन रहा है। यानि चीन की अर्थव्यवस्था हम से कहीं ज्यादा मजबूत है। वैसे भारत की जीडीपी भी अब 3 ट्रिलियन से ज्यादा की हो चुकी है।
7• अधिकतर स्टार्टअप्स में चीन की हिस्सेदारी
बिगबास्केट, फ्लिपकार्ट, मेकमायट्रिप, ओला, पेटीएम, क्विकर, स्विग्गी, जोमैटो, पॉलिसीबाजार, ओयो होटल जैसे कई सारे लोकप्रिय भारतीय ब्रैंड में चीनी कंपनियों का बहुत बड़ी मात्रा में पैसा लगा हुआ है। यानि, जिन्हें हम भारतीय समझकर धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं, उनमे ज्यादातर स्टार्ट-अप चीन के भरोसे हैं। एक अनुमान के मुताबिक आज देश में जितने भी स्टार्टअप्स हैं, उनमें से तकरीबन दो-तिहाई में चीन का पैसा लगा हुआ है। ऐसे में सवाल उठता है कि हम चीन से कहां तक पीछा छुड़ाएंगे।
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8• ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में हमसे आगे है चीन
ये सच्चाई है मोदी सरकार के दौरान भारत ने कई ग्लोबल इंडेक्स में ऊंची छलांग लगाई है। लेकिन, हम यह भी नजरअंदाज नहीं कर सकते कि फिर भी चीन हमसे इन मामलों में कहीं आगे है। क्योंकि, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में लगातार छलांग लगाते हुए भारत यदि आज 63वें स्थान पर पहुंचा है, तो चीन 31वें स्थान पर पहुंच चुका है।
9• ‘ग्लोबल कॉम्पिटिटिव इंडेक्स’ में भी बढ़त’
इसमें भारत ने खुद को अगर 68वें स्थान पर स्थापित किया है तो चीन 28वें पर पहुंच चुका है।
10• ‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ में भारत से काफी ऊपर’
‘ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स’ में भारत अब 52वें स्थान पर पहुंच चुका है तो चीन हमसे काफी आगे निकलकर 14वें पर है।
अंततः यह स्पष्ट है चीन के सामानों का हम बहिष्कार करने मात्र से उसकी चालबाजियों का जवाब नहीं दे सकते बल्कि खुद को उसके मुकाबले में खड़ा करके, आत्मनिर्भर बनाकर
ही उसे चुनौती दे सकते हैं।