दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार एक बार फिर आमने सामने आ गयी है। इस बार मुद्दा राशन वितरण को लेकर है। दरअसल दिल्ली में सरकार की ‘घर-घर राशन योजना’ पर रोक लगा दी गयी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का आरोप है कि केंद्र सरकार ने राजनीति के तहत इस योजना पर रोक लगाई है। इसे लेकर माननीय मुख्यमंत्री जी ने तुरंत ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी और सरकार को घेरना शुरू कर दिया। लेकिन उन्होंने जनता को इस विवाद के दूसरे पहलू से रूबरू नहीं कराया। अरविंद केजरीवाल ने कई उदाहरण देकर जनता में केंद्र सरकार को योजना को लेकर भ्रम तो फैलाया लेकिन उन्होंने अपनी गलती और राशन वितरण पर की गई राजनीति पर चुप्पी साधे रखी। चलिए उससे पहले आपको बताते हैं कि आखिर अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आखिर क्या कहा?
केंद्र पर साधा निशाना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ‘हमारी योजना ये कहकर खारिज कर दी कि हमने केंद्र से मंजूरी नहीं ली थी। लेकिन हमने केंद्र से इस योजना के लिए 5 बार अप्रूवल लिया था। इस वक्त देश बहुत भारी संकट से गुजर रहा है। ये वक्त एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मदद करने का है। ये वक्त एक-दूसरे से झगड़ने का नहीं है। लोगों को लगने लगा है कि इतनी मुसीबत के समय भी केंद्र सरकार सबसे झगड़ रही है। आप ममता दीदी से झगड़ रहे हैं। झारखंड सरकार से झगड़ रहे हैं। आप लक्षद्वीप के लोगों से झगड़ रहे हैं।
दिल्ली सरकार का बेतुका तर्क
अरविंद केजरीवाल ने इस योजना पर रोक लगाने का बेतुका सा तर्क दिया। उन्होंने कहा ‘इस देश में अगर स्मार्टफोन, पिज्जा की डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं? आपको राशन माफिया से क्या हमदर्दी है प्रधानमंत्री सर? उन गरीबों की कौन सुनेगा? केंद्र ने कोर्ट में हमारी योजना के खिलाफ आपत्ति नही की तो अब खारिज़ क्यों किया जा रहा है? कई गरीब लोगों की नौकरी जा चुकी है. लोग बाहर नही जाना चाहते इसलिए हम घर-घर राशन भेजना चाहते हैं।’ ये वही दिल्ली सरकार ने जिसने कुछ ही समय पहले शराब की होम डिलीवरी शुरू की थी।
केंद्र को क्यों लगानी पड़ी रोक?
अब सवाल ये है कि आखिर दिल्ली जैसे बड़े राज्य में राशन वितरण की अपनी ही योजना पर केंद्र सरकार को रोक क्यो लगानी पड़ी? कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो केंद्र ने इस योजना पर इसलिए रोक लगा दी क्योंकि केजरीवाल सरकार ने इसके लिए केंद्र से मंजूरी नहीं ली थी। दिल्ली सरकार ने पहले इस योजना को ‘मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना’ के नाम से शुरू करने का ऐलान किया था। नाम बदलने को लेकर ही केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच मार्च में विवाद शुरू हो गया था। केंद्र का कहना है कि राशन वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत किया जाता है। ऐसे में कोई राज्य इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं कर सकता। इस तरह की योजनाओं का नाम सिर्फ संसद में बदला जा सकता है। अब इस पूरे मामले का निष्कर्ष निकाल कर देखा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि आम आदमी पार्टी खुद को सिस्टम से ऊपर रख कर काम करने के बारे में सोचती है। किसी भी राज्य सरकार को अधिकार नहीं होता कि वह बिना केंद्र सरकार की मंजूरी के किसी भी योजना का नाम बदलें।