क्या कम्युनिस्ट ‘चीन’ की साजिश और WHO की लापरवाही झेल रही है दुनिया?

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चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस, आज अपनी पहुंच 192 देशों तक बना चुका है और इस वायरस की चपेट में तकरीबन 15 लाख से भी ज़्यादा लोग आ चुके हैं। इस वायरस से संक्रमित व्यक्तियों की मौतें भी लाखों का आंकड़ा पार कर चुकीं हैं। ऐसे में इस बीमारी को महामारी कहना गलत नहीं होगा जब अनेक देशों की अर्थव्यस्था, रोज़गार व दैनिक जीवन सब रसातल में पहुंचने को विवश हो रहे हैं और इस बीमारी के आगे घुटने टेक रहे हैं। इस विकट परिस्थिति के खिलाफ आज समूचे विश्व को एकसाथ खड़े होने की ज़रूरत है तभी हम नई उम्मीदों के भविष्य का निर्माण कर पाएंगे।

क्या कोरोना वायरस फैलाने की साज़िश में चीन का साथ दे रहे हैं WHO के महानिदेशक?

आज जब भारत के साथ पूरा विश्व कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहा है ऐसे में सवाल उठता है कि ये वायरस देखते-ही-देखते कैसे तकरीबन विश्व के सभी देशों तक पहुंच गया और आज लाखों लोगों की जान लेने पर आमादा है? कोरोना वायरस के मामले मुख्यतः चीन के हूबे प्रांत की राजधानी वुहान शहर से पिछले साल नवम्बर से ही आने शुरू हो गए थे। तब चीन ने इस वायरस को निमोनिया कहकर मामले को दबाने की कोशिश की। फिर देखते-ही-देखते अचानक 31 दिसंबर से 3 जनवरी तक ऐसे 44 मामले सामने आए तब जाकर दुनिया को ऐसी रहस्यमयी बीमारी का पता चल सका। 6 जनवरी तक आते-आते चीनी वैज्ञानिकों ने इस वायरस का नाम कोरोना वायरस दिया और फिर 9 जनवरी को चीन ने दुनिया के सामने इस वायरस से हुई पहली मौत होने की पुष्टि कीI तब से लगातार इस वायरस की वजह से लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ रहीं हैं। इस बीच WHO की भूमिका भी संदिघ्ध नज़र आई। वो WHO जिसका उद्देश्य मानवीय स्वास्थ्य के सभी पहलुओं को दुरुस्त रखने एवं बीमारियों की रोकथाम में अन्तराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना था। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ये संस्था आज खुदकी साख बचाने की जद्दोजहद में लगी होगी। डब्ल्यूएचओ को सवालों के कठघरे में खड़ा करने के लिए ज़िम्मेदार इसके मौजूदा महानिदेशक टेड्रोस गेब्रेयसस हैं जिन्हें 2017 में इस पद पर बैठाया गया था। इस पद पर काबिज़ होने से पहले टेड्रोस इथियोपिया के विदेश मंत्री व उससे भी पहले वे वहीं के स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। ऐसी भी खबरें हैं कि इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए टेड्रोस ने तब चीन को फायदा पहुंचाने के लिए कई अहम फैसले लिए थे। शायद इसीलिए 2017 में चीन ने उन्हें डब्ल्यूएचओ का महानिदेशक बनाने की पैरवी की थी और उन्हें चीन का ज़बरदस्त समर्थन भी प्राप्त हुआ था।

क्या WHO की लापरवाही आज पूरी दुनिया भुगत रही है?

वर्तमान परिदृश्य में डब्ल्यूएचओ का डांवा-डोल रवैया तब पकड़ में आया जब चीन द्वारा दिसंबर के आखिर में वुहान शहर में एकाएक संक्रमित हो रहे लोगों का पता न लगा पाने की बात उसने डब्ल्यूएचओ को बताई। तब टेड्रोस अपनी आँखें बंद किए रहे और दुनिया को इस बात से अवगत नहीं करवाया। वहीं, तब चीन ने भी जितना हो सके इस मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया। जब 7 जनवरी को चीन ने डब्ल्यूएचओ को कोरोना वायरस के अनियंत्रित रूप से फैलने की सूचना दी तब भी दुनिया को सतर्क करने की बजाए टेड्रोस ने मामले में ढील बरती। 20 जनवरी तक आते-आते जब डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस की पहली रिपोर्ट जारी की तबतक ये वायरस दक्षिण कोरिया, थाईलैंड और जापान तक अपनी पहुंच बना चुका था। वहीं, आनन-फानन के बीच जब चीन इस वायरस को रोकने में असमर्थ हो गया तब उसने हूबे प्रांत को लॉकडाउन करने का निर्णय लिया। वुहान इसी प्रांत की राजधानी है। तब भी डब्ल्यूएचओ चेता नहीं और अपने ढुल-मुल रवैये को जारी रखा। अच्छी बात ये हुई कि तबतक कुछ देशों ने चीन से अपने यहाँ आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थीI आखिरकार, रस्म-अदाएगी करते हुए टेड्रोस 27 जनवरी को चीन पहुंचे और वे राष्ट्रपति शी चिनफिंग एवं चीनी स्वास्थ्य विशेषज्ञों से मिले। आश्चर्यजनक रूप से टेड्रोस ने चीन के राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की और दुनिया को वायरस से निपटने में चीन से सबक लेने की बात कही। जब कोरोना वायरस 15 देशों में पहुंच चुका था तबभी टेड्रोस चीन के सम्मान में कसीदे पढ़ने से खुदको रोक नहीं पा रहे थे।

जब 24 देशों में फैला कोरोना वायरस पर फिर भी WHO नहीं चेता

जब कोरोना वायरस धीरे-धीरे विभिन्न देशों में अपनी पहुंच बना रहा था तब भी चीन ने खुलकर इस वायरस की उत्पत्ति का कारण व इसकी और जानकारी देने में दूसरे देशों के साथ सहयोग नहीं किया। वहीं, टेड्रोस की गतिविधियाँ और भी संदेह के घेरे में आ गईं जब उन्होंने WHO और चीन की संयुक्त टीम पर सहमति जताई जबकि WHO की टीम को स्वतंत्र रूप से खुद इस मामले की जाँच करनी चाहिए थी। अंततः WHO ने 30 जनवरी को कोरोना वायरस को अन्तराष्ट्रीय रूप से स्वास्थ्य आपदा करार दिया। अगर WHO यहीं पर सतर्क हो जाता तो गनीमत थी पर ऐसा हुआ नहीं। WHO की 4 से 8 फरवरी के बीच हुई कार्यकारी बोर्ड की बैठक में भी 52 सूत्रीय एजेंडे में कोविड-19 को शामिल तक नहीं किया गया। इस बीच कोरोना वायरस 24 देशों में फैल चुका था। वहीं, 14 से 29 फरवरी के मध्य WHO और चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कोविड-19 के मेडिकल एवं तकनीकी पहलुओं का विश्लेषण किया गया। ये टीम इस वायरस की रोकथाम के सुझावों को देने की बजाए अन्तराष्ट्रीय बिरादरी को चीन के साथ मज़बूत रिश्ते बनाने की पैरवी करने पर उतारू दिखने लगी और इसके साथ ही इस टीम ने वायरस को फैलने से रोकने में चीन के द्वारा उठाए जा रहे कदमों की भी प्रशंसा की।

भारी आलोचनाओं में घिरी WHO की कार्यप्रणाली

हर दिन के साथ कोविड-19 से संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही थी और अब तकरीबन हर देश इस वायरस की चपेट में आता जा रहा था लेकिन फिर भी डब्ल्यूएचओ उसे वैश्विक महामारी घोषित करने से बचता फिर रहा था। आखिरकार भारी आलोचनाओं में घिरने के बाद WHO ने 11 मार्च को इसे वैश्विक महामारी घोषित किया। ऐसे में डब्ल्यूएचओ की कार्यप्रणाली तो संदेह के घेरे में आ ही गई थी व इसके साथ ही कम्युनिस्ट शासित चीन की मंशा भी पूर्ण रूप से दुनिया के समक्ष जगजाहिर हो चुकी थी।

चीन का षडयंत्र, याद रखेगी दुनिया

इन सब बातों में एक अजीब बात ये भी पकड़ में आई कि कैसे कोरोना वायरस सिर्फ हूबे प्रांत तक ही सीमित रहा और जब इस वायरस से चीन की राजधानी बीजिंग सुरक्षित रही तब ये सात-समुन्दर पार अमेरीका व यूरोप तक कैसे फैल गया? वहीं, चीन के बेहद करीबी दोस्त माने जाने वाले रूस व उत्तर कोरिया में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के न के बराबर मामले पाए जाना भी चीन की किसी साज़िश का ही प्रमाण देते हैं। वहीं, अब खबर ये आ रही है कि कोरोना वायरस के कारण विश्व की अर्थव्यस्था को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है और ऐसे में चीन एक-एक कर अमेरिका व यूरोप की कई कंपनियों में खूब शेयर खरीद रहा। अब ये बात शायद ही किसी से छुपी हो कि कैसे चीन विश्व में अपना एकाधिकार रखना चाहता है। चीन को ये भलीभांति मालूम है कि संसाधनों और पूंजी में वो अमेरिका से टक्कर नहीं ले सकता इसीलिए वो अब जैविक हथियार बनाकर पूरे विश्व से अपनी बात मनवाना चाह रहा है या एक तरह से ब्लैकमेल करना चाह रहा है इस बात से भी अभी पर्दा हटना बाकी है। लेकिन चीन शायद ये भूल गया है कि जैसे इससे पहले भी दुनिया ने हर वायरस की छुट्टी कर दी फिर चाहे वो सार्स हो या फिर एच-1 एन-1, वैसे ही कोरोना की भी जल्द ही शामत आएगी। चीन का फिर क्या होगा ये तो वक़्त ही बताएगा पर जो भी हो, दुनिया को इस त्रासदी में ढकेलने वाले को किसी भी हालत में माफ नहीं करेगी। एक अच्छी और बेहतर दुनिया हम तभी बना सकते हैं जब हम गलत को गलत और सही को सही कहने का हौसला रखते हों।

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