जब भारत के प्रधानमंत्री ने कहा, मेरा बाप मर गया है फिर भी मुझे मारते हो, पढ़िए उनकी कुछ अनसुनी कहानियां

आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है। लाल बहादुर शास्त्री ने अपने अद्भुत व्यक्तित्व के कारण अपना नाम इतिहास के पृष्ठों पर स्वर्ण अक्षरों से दर्ज कराया है।

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आज भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि है। लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी हुई बहुत सारी कहानियां है, जिन्हें लोगों ने नहीं सुना है, या जिनके बारे में कभी नहीं पड़ा है। आइए हम बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी हुई उन बातों के बारे में जिनसे आप आज भी अनभिज्ञ होंगे।

एक फूल तोड़ने की शास्त्री जी को मिली ये सजा

लाल बहादुर शास्त्री जब छोटे थे और ठीक से बोल भी नहीं पाते थे, तब उनके पिता का निधन हो गया था। माता अपनी संतानों को अपने साथ लेकर अपने पिता के यहां पर चली आई थी। पढ़ाई लिखाई के लिए शास्त्री जी का दूसरे स्कूल में दाखिला कराया गया। शास्त्री जी कुछ दोस्तों के साथ विद्यालय जाया करते थे। विद्यालय जाते समय उनके रास्ते में एक बाग पङता था। बताया जाता है कि 1 दिन उस बगीचे की रखवाली करने वाला व्यक्ति वहां पर उपस्थित नहीं था, लड़कों को लगा कि इससे अच्छा मौका हमारे पास नहीं है। सभी लड़के पेड़ों पर चढ़ गए और कुछ फल तोड़ने लगे। कुछ समय बाद ही उस बाग की रखवाली करने वाला व्यक्ति आ गया। सब बच्चे भाग गए लेकिन शास्त्री जी वही खड़े रह गए। उनके हाथों में कोई फल नहीं था केवल एक गुलाब का फूल था जो उन्होंने उसी बाग से तोड़ा था।

तुम मुझ पर दया क्यों नहीं करते?

माली ने जब बाग की हालत देखी तो उसे बहुत गुस्सा आया। एक धमाकेदार तमाचा उस माली ने भारत के भावी प्रधानमंत्री के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया। शास्त्री जी अपने स्वभाव के अनुसार रोने लगे मासूमियत से शास्त्री जी बोले कि तुम नहीं जानते मेरा बाप मर गया है फिर भी तुम मुझे मारते हो दया नहीं करते। शास्त्री जी ने यह सोचा कि पिता के ना होने से लोगों की सहानुभूति उन्हें मिलेगी लोगों ने प्यार करेंगे। उनकी इस गलती के लिए माफ कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं था। शास्त्री जी का अनुमान गलत साबित हुआ,जब शास्त्री जी वहां से नहीं गए तो माली ने एक और तमाचा शास्त्री जी के गाल पर जड़ दिया। यह दो तमाचे शास्त्री जी के लिए जीवन भर का सबक बन कर रह गये।

संघर्ष को बनाया अपने जीवन का ध्येय वाक्य

माली ने शास्त्री जी से कहा, “जब तुम्हारा बाप नहीं है तो तुम्हें ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए और सावधान रहना चाहिए, तुम्हें तो नेक चलन और ईमानदार बनना चाहिए।” उस दिन के बाद शास्त्री जी के मन में यह बात घर कर गई कि जिनके पिता नहीं होते उन्हें सावधान रहना चाहिए। ऐसे बच्चों को किसी और व्यक्ति से प्यार किया था नहीं करनी चाहिए। अगर उन्हें कुछ पाना है तो उसके लिए मेहनत करनी चाहिए संघर्ष करना चाहिए।

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