Rajiv Gandhi Foundation | 15 और 16 जून की रात को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में एक घटना हुई जिसमें भारतीय सेना ने अपने 20 जवान खो दिये। ये भी ख़बर सामने आयी कि चीन के भी 48 जवानों ने अपनी जान गंवा दी या घायल हो गए। लेकिन अपनी फितरत के हिसाब से वे कभी इस बात को स्वीकार तो नहीं करेंगे। इस विवाद के कई कारण बताए जा रहें हैं!
1. गलवान घाटी में भारत सड़क बना रहा है, जिसे रोकने के लिए चीन कई बार सीमा पर तनाव फैलाने वाली हरकत करता रहता है। दरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड (डीबीओ) भारत को इस पूरे इलाके में बड़ा लाभ दे सकती है।
2. भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 का हटाना, भारत की विदेश नीति में पिछले दिनों हुए बदलाव, चीन की आंतरिक राजनीति और कोरोना के दौर में विश्व राजनीति में ख़ुद को बनाए रखने की चीन के प्रयासों से जोड़कर देखा जाना चाहिए।
ये कुछ ऐसे कारण है जिनसे चीन बौखला गया है और भारत के खिलाफ षड़यंत्र रच रहा है। कांग्रेस का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के कारण ये सब हो रहा है लेकिन अगर इतिहास में जाएं तो आप खुद जान जाएंगे। इसका कारण केवल और केवल कांग्रेस की नीतियां रहीं हैं। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने चीन को अपना जिगरी दोस्त माना।
पंडित नेहरू की गलतियों का परिणाम है वर्तमान की स्थितियां
भारत के इतिहास में कुछ लोगों का नाम बार-बार दिया जाता है। उन्हीं में से एक नाम है- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का। प्रधानमंत्री नेहरू ने 17 सालों तक भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला। कुछ लोग उन्हें भारत भाग्य विधाता मानते हैं तो कुछ लोग उन्हें भारत के लिए घातक व्यक्ति समझते हैं। पंडित नेहरू ने हमेशा ही चीन को अपना बेहतर मित्र समझा। प्रधानमंत्री की लचीली चीन नीति के कारण देश ने 1962 का युद्ध लड़ा और भारी हार का सामना भी किया। उस समय चीन ने हमारा 37244 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा हड़प लिया जिस पर हमारा अधिकार था और रहेगा। 1950 में प्रधानमंत्री नेहरू को सरदार पटेल ने पत्र लिखकर कहा था कि चीन भारत का भावी शत्रु है। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी मित्रता के आगे पटेल की बात को नहीं समझा और भारत ने उसका परिणाम भी देखा।
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे!
इसके अलावा भारत में लंबे समय तक शासन करने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस देश की प्रत्येक समस्या के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार मानती है। जबकि हम अगर इतिहास के गर्त में जाकर देखें तो चाहे 370 का मामला हो, चाहे 1990 में कश्मीरी पंडितों की हत्या हो चाहे लोकसभा में तीन तलाक पीड़िता के हितों को दबाने की बात हो, चाहे 1984 में सड़कों पर सिख परिवारों की हत्या करना हो, यह सभी आरोप कांग्रेसियों पर सिद्ध हुए हैं, लेकिन कांग्रेसी सदैव इन आरोपों से खुद को अलग करती आई है। जबकि इसका कारण भी कांग्रेस है। यूएनओ में भारत के पास आई हुई स्थिर सदस्यता को ठुकरा कर चीन की झोली में डालने वाले लोग अपने 17, 10 और 15 सालों के कार्यकाल में अच्छे दिन नहीं ला सके। लेकिन 6 साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले सभी गलतियों का कारण बताते हैं। वर्तमान परिस्थिति ऐसी है कि जब तमाम राजनीतिक दलों को एक होकर भारत की सरकार और भारतीय सेना का साथ देना चाहिए। लेकिन उसके विपरीत सभी पार्टियां इस समय केवल और केवल आरोप प्रत्यारोप में अपना समय व्यतीत कर रही हैं।
राजीव गांधी फाउंडेशन का राज
वर्तमान समय में उनके एक परिवार के एक और सदस्य का नाम राजनीति में उछल रहा है। और वह नाम है इंदिरा गांधी के बड़े बेटे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का। राजीव गांधी के उद्देश्यों को पूर्ण करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने साथियों के साथ मिलकर 21 जून 1999 को राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) का निर्माण किया था। 1991 से 2009 तक इस फाउंडेशन ने साक्षरता, स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल विकास और महिलाओं के लिए कई अच्छे कदम उठाए। इस फाउंडेशन की अध्यक्ष सोनिया गांधी है और उनकी अन्य सदस्यों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पी चिदंबरम तथा प्रियंका वाड्रा गांधी भी शामिल हैं।
चीन से फंडिंग का कई बार लग चुका है आरोप
राजीव गांधी फाउंडेशन (Rajiv Gandhi Foundation) पर भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े नेताओं ने आरोप लगाए हैं। सबसे पहले भारत के कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दावा किया कि राजीव गांधी के फाउंडेशन को चीन ने पैसे दिए। कानून मंत्री का कहना है, “चीन का राजीव गांधी फाउंडेशन के प्रति प्रेम कैसे बढ़ा, इनके कार्यकाल में ही चीन ने भारत की जमीन पर कब्जा किया। भारत की संविधान में कानून है जिसकी अनुमति के बिना आप विदेशों से पैसे नहीं ले सकते। कांग्रेस खुल कर बताएं क्या उसने पैसे लेने से पहले उस कानून की मंजूरी ली?” रविशंकर प्रसाद का मानना है 2005-06 में राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन एंबेसी ने पैसे दिए थे। उनका दावा है कि चीन एंबेसी ने राजीव गांधी फाउंडेशन को 90 लाख रूपए की फंडिंग की थी।
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने भी बीजेपी की वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कहा था, “2006 से 2009 के बीच चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन को तीन लाख अमेरिकी डॉलर का दान दिया था। उन्होंने कहा कि आप लोग देख सकते हैं कि भारत के अंदर ही किस तरह के षड्यंत्र चल रहे हैं।” इसके अलावा प्रधानमंत्री राहत कोष से भी राजीव गांधी फाउंडेशन में फंडिंग होने की बात कही गई है। 2011 में भी इस्लामिक स्कॉलर जाकिर नाईक की एक इस्लामिक टीम के द्वारा राजीव गांधी फाउंडेशन को 50 लाख का दान दिया गया था जबकि जाकिर नाईक को 2017 में भारत का न्यायालय अपराधी घोषित कर चुका है।
इस तरह आप देख सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी का, कांग्रेस पार्टी के नेताओं का और कांग्रेस पार्टी के सभी बड़े नेतृत्व करने वाले लोगों का कहीं ना कहीं विदेशी देशों से संबंध रहा है। अगर इस बीच वही देश हमारे देश की भू-भाग पर कब्जा कर लेते हैं तो कहीं ना कहीं शक की नजरों से उन्हीं नेताओं को देखा जाना भी सही है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की गलती को सारा देश जानता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू की गलती के कारण ही भारत ने अपने भू-भाग को गंवाया है और ऐसे में अगर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के फाउंडेशन पर भी अगर कुछ सवाल उठते हैं तो वास्तव में उन सवालों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।