कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से खाड़ी देशों और दुनिया के अनेक हिस्सों में फंसे हुए हजारों भारतीयों को घर लाने के लिए भारत अपना अब तक का सबसे बड़ा देश वापसी अभियान ‘वंदे भारत मिशन’ शुरू करने जा रहा है। भारत सरकार ने मंगलवार को ‘वंदे भारत मिशन’ की घोषणा की। इस अभियान में असैन्य विमानों और नौसैनिक पोतों के बेड़े को लगाया गया है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि खाड़ी क्षेत्र में तीन लाख से अधिक लोगों ने वहां से निकलने के लिए पंजीकरण कराया है, लेकिन सरकार केवल उन्हें पहले वापस लाएगी जिनके सामने घर वापसी के लिए चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति, वीजा अवधि समाप्त होने या निर्वासन की संभावना जैसे अत्यावश्यक कारण हैं। अधिकारियों के अनुसार, खाड़ी देशों में दस हजार से अधिक भारतीयों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने का पता चला है। जिनमें से 84 की मौत हो चुकी है। सूत्रों ने बताया कि कई एजेंसियों के सहयोग से चलाये जाने वाले ‘वंदे भारत मिशन’ नाम के इस अभियान में सबसे प्रमुख ध्यान खाड़ी क्षेत्र, पड़ोसी देशों के साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर से भारतीयों को वापस लाने पर केंद्रित किया जाएगा।
हजारों भारतीय जहां विदेशों में नौकरी जाने के बाद अपने देश लौट रहे हैं, ऐसे में विदेश मंत्रालय राज्यों और केंद्रीय मंत्रालयों के साथ कुशल कामगारों के लिए संभावित रोजगार के अवसरों के बारे में विस्तृत डेटाबेस साझा करेगा। सूत्रों के अनुसार, विदेश मंत्रालय इस व्यापक अभियान को सुगमता से संचालित करने के लिए राज्यों तथा विदेशों में भारतीय मिशनों के साथ समन्वय से काम कर रहा है। नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिल्ली में ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि इन उड़ानों से आने वाले लोगों को शुल्क देना होगा। उन्होंने कहा कि 13 मई तक भारतीयों को लाने के इस प्रयास से निजी विमान कंपनियां भी जुड़ सकती हैं। पुरी ने बताया कि लंदन से दिल्ली की उड़ान के लिए 50 हजार रुपये प्रति यात्री और ढाका से दिल्ली की उड़ान के लिए 12 हजार रुपये प्रति यात्री शुल्क निर्धारित किया गया है। भारतीय नौसेना पहले ही दूसरे देशों से भारतीयों को वापस लाने के प्रयासों के तहत ‘ऑपरेशन समुद्र सेतु’ शुरू कर चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में करीब 1.4 करोड़ भारतीय रहते हैं और इनमें से बड़ी संख्या में लोग अपने वतन लौटना चाहते हैं।