इन दिनों प्राइवेसी की हर जगह चर्चा हो रही है। सर्च इंजन से लेकर मैसेजिंग एप तक सभी यूजर्स का डेटा कलेक्ट कर बेचने में लगे हैं। ऐसे में यूजर्स को अपनी पर्सनल जानकारी की चिंता सता रही है। आप गूगल पर कुछ भी सर्च करते हैं तो उससे संबंधित विज्ञापन आपको फेसबुक, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब आदि पर देखने को मिल जाता है यानी आपका डेटा अन्य लोगों के साथ शेयर किया जा रहा है।
इसी समस्या के समाधान के लिए गूगल के विकल्प के तौर पर जल्द ही दो भारतीयों का बनाया एक नया सर्च इंजन मिलने वाला है आईआईटी के पूर्व छात्र और गूगल के एक्स-एम्पलाई रहे, श्रीधर रामास्वामी और विवेक रघुनाथन इस साल एड-फ्री और प्राइवेट सर्च प्रोडक्ट के तौर पर नीवा सर्च इंजन लॉन्च करेंगे। उन्होने बताया कि अधिक से अधिक लाभ हो ऐसे में हमने सर्च इंजन बनाया है जो केवल यूजर्स की नीड पर केंद्रित है।
237 करोड़ का फंड जुटा चुकी है कंपनी
अमेरिका में नीवा की 45 लोगों की टीम है और कंपनी इसे चार-पांच महीने में रोलआउट करने की योजना बना रही है। सबसे पहले इसे अमेरिका में और फिर पश्चिमी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और भारत में रोल आउट किया जाएगा। रामास्वामी कहते हैं कि हमारे पास इंजीनियरों, डिजाइनरों और प्रोडक्ट मैनेजरों की एक बड़ी टीम है। ग्रेलॉक, सिकोइया कैपिटल और रामास्वामी ने स्वयं के निवेश से नीवा ने अब तक 273 करोड़ रुपए का फंड जुटाया है।
उन्होंने कहा कि अभी जो प्रोडक्ट लोग इस्तेमाल कर रहे हैं यह उससे काफी अलग है, जो ड्रॉपबॉक्स और ईमेल अकाउंट जैसी सर्विसेस पर पर्सनल डेटा में सर्च और क्वेरीज़ के लिए सिंगल विंडो प्रदान करता है। हमें कोर टेक्नोलॉजी पर दोबारा विचार करना होगा, क्योंकि कुछ स्तर पर जैसे कि आप कैसे वेब को क्रॉल करते हैं, बेसिक कैसे इंडेक्ट करते हैं जैसी चीजें एक समान हैं। गूगल की तरह नीवा भी सर्च के लिए एआई और मशीन लर्निंग का उपयोग करेगा।
कंपनी ने नीवा को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि पर्सनल डेटा को सिर्फ बेहतर रिजल्ट दिखने के लिए इंडेक्स किया जाए। इसके अलावा किसी काम के लिए नहीं। कंपनी का यह भी कहना है कि डेटा को किसी भी रूप में कभी भी बेचा नहीं जाएगा और सर्च हिस्ट्री को 90 दिनों के बाद डिफॉल्ट रूप से हटा दिया जाएगा। जबकि गूगल 18 महीने बाद डिफॉल्ट रूप से सर्च हिस्ट्री हटाता है।