भारत विश्व गुरु बनने की राह पर अग्रसर है। कोरोना की दो स्वदेशी वैक्सीन बनाकर भारत ने बड़ा इतिहास रचा है। भारत की वैज्ञानिक की प्रतिभा ने विज्ञान के क्षेत्र में जो कार्य किया है उसे भारतवासियों का मस्तक गर्व से ऊंचा हो गया है। इसी बीच बताया जा रहा है कि भारत में जल्द ही नाक से लेने वाली कोरोना की वैक्सीन इंट्रानेजल सकती है। भारत बायोटेक के द्वारा इस वैक्सीन का भी निर्माण किया जा रहा है। अब तक यह वैक्सीन जानवरों पर सफल रही है मनुष्यों पर इसके प्रभाव की जांच अभी लैब में हो रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि यह वैक्सीन शरीर में जाने वाले कोरोनावायरस का रास्ता ही रोक देगी। इस वैक्सीन का असर 2 हफ्ते में शुरू होगा और इसका प्रयोग बच्चों पर भी किया जा सकेगा।
वैज्ञानिकों के अनुसार जिस व्यक्ति इनका प्रयोग मांसपेशियों के द्वारा किया जाता है उसे इंटरमस्कुलर वैक्सीन कहते हैं, ठीक उसी प्रकार जिसका प्रयोग नाक के द्वारा किया जाता है उसे इंट्रा नेजल वैक्सीन कहते हैं। यह वैक्सीन वहां पर ज्यादा प्रभाव डालती है जहां से कोरोनावायरस शरीर में प्रवेश करता है। कोरोनावायरस जिस तरह से पूरे विश्व में फैल रहा है अगर यह वैक्सीन सफल हुई तो ये वैज्ञानिक की इतिहास में एक बड़ी घटना होगी। यह सिंगल डोज वैक्सीन है, इसी कारण इसकी ट्रैकिंग बेहद आसान है। बताया जा रहा है कि इसके साइड इफेक्ट भी इंट्रा मस्कुलर वैक्सीन से कम है।