भारतीय सेना के वो 5 जवान, जिन्होंने खेलों की दुनिया में बढ़ाया देश का गौरव

भारतीय सेना में रहकर देश की सेवा करने वाले ऐसे कई जावान है जिन्होनें खेलों की दुनिया में देश का मान बढ़ाया है। आज हम आपको उन 5 जावानों के बारे में बताने जा रहें है जिन्होनें देश के लिए राष्ट्रीय स्तर तक कई मेडल और प्रतियोगिताएं जीती।

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भारतीय सेना के जाबाजों की वीरगाथाएं पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। सीमा पर जान की परवाह किए बिना देशवासियों की रक्षा करने की बात हो या फिर खेलों के मैदान पर झंडे गाढ़ने की, भारतीय सैनिकों ने हमेशा से ही देश को हर मोर्चे पर गौरान्वित किया है। दूसरे देश भी इस बात को मान चुकें है कि खेलों के मैदान पर पसीना बहाने से लेकर जंग के मैदान पर खून बहाने तक, भारतीय सैनिकों का कोई मुकाबला नहीं है। भारत ने कई ऐसे युद्ध देखें जहां अपने देश की रक्षा करते हुए हजारों सैनिक शहीद हो गए। लेकिन बहुत ही कम लोगों ने उन सैनिकों का नाम सुना होगा जो भारतीय सेना में सेवानिवृत होने के बाद खेलों की दुनिया में भी अपने देश और भारतीय तिरंगे का नाम रोशन कर चुकें है।

आज हम आपको ऐसे ही 5 खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहें है जिन्होनें भारतीय सेना में भर्ती के बाद खेलों की दुनिया में भी अपने नाम का परचम लहराया।

मिल्खा सिंह

जब कभी खेलें के क्षेत्र में सबसे सफल रहें भारतीय सैनिकों की बात होती है तो उसमें मिल्खा सिंह का नाम सबसे पहले लिया जाता है। फ्लाईंग सिंह के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध मिल्खा सिंह का नाम भारत में ही नहीं बल्कि ऐशिया का सबसे तेज धावक के तौर पर लिया जाता है। मिल्खा सिंह भी भारतीय सेना का हिस्सा रह चुके हैं। सेना में आने के बाद मिले मार्गदर्शन ने उन्हें एक उम्दा धावक में बदल दिया। मिल्खा सिंह ने एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ में भारत के लिए कई मैडल जीते। इस दौरान उन्होनें कई विश्व रिकॉर्ड भी अपने नाम किए।

मेजर ध्यानचंद

खेलों की दुनिया का एक और बाजीगर जिसने भारतीय ह़ॉकी को एक अलग मुकाम दिया। मेजर ध्यानचंद ने भारतीय हॉकी को उस शिखर तक पहुंचाया था जिसके बाद इस खेल को देश का राष्ट्रीय खेल घोषित करना पड़ा था। भारत को लगातार 6 ओलंपिक खेलों में गोल्ड मेडल जिताने वाले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद भी भारतीय सेना का हिस्सा थे। उत्तर प्रदेश में जन्में ध्यानचंद्र ने 17 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में सेवा देनी शुरु कर दी थी। भारतीय सेना में भर्ती के बाद ही उन्होनें सेना के लिए आगे हॉकी खेलना शुरु कर दिया था।

शिवनाथ सिंह

खेलों में रुची रखने वाले बहुत ही कम लोगों ने शिवनाथ सिंह को नाम चर्चा में सुना होगा। वर्ष 1970 से 80 के बीच ट्रैक एण्ड फिल्ड पर लंबी दूरी की दौड़ में विश्व के श्रेष्ठ धावकों में एक शिवनाथ सिंह ने तेहरान एशियाड में पांच हजार मीटर की स्पर्धा में नंगे पांव दौड़ देश के लिए गोल्ड मेडल जीता था। शिवनाथ सिंह भी भारतीय सेना में सेवा दे चुकें है।

राज्यवर्धन सिंह राठौर

राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित राज्यवर्धन सिंह राठौर भारतीय सेना में कर्नल के पद से सेवानिवृत्त थे। राज्यवर्धन सिंह राठौड़ 90 के दशक की शुरुआत में नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ग्रेजुएट से थे और 2013 तक सदस्य के रूप में कार्यरत थे। राजनीति में आने से पहले उन्होंने सेना से कर्नल (Colonel) के रूप में स्वैच्छिक रिटायरमेंट ली थी। 2004 के ओलिंपिक खेलों में राठौर ने निशानेबाज़ी के डबल ट्रैप इवेंट में रजत पदक अपने नाम किया था। ओलिंपिक के अलावा राठौर कामनवेल्थ खेलों में भी भारत का नाम रोशन कर चुके है।

राम सिंह माधव

ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले भारत के केवल दूसरे मैराथन धावक राम सिंह यादव भारतीय सेना में हवलदार के रूप में कार्य करते हैं। उन्होंने मुंबई मैराथन के माध्यम से 2012 लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था। हालांकि वह देश के लिए मेडल जीत पाने में कामयाब नहीं हो पाए थे।

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