साल 2020 में वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरे विश्व को एक ऐसी चोट दी थी जिससे भारत समेत अन्य बड़े देश अभी तक उभर नहीं पाए हैं। भले ही अब इस वायरस की स्थिति थोड़ी नियंत्रण में हो लेकिन एक समय ऐसा था जब अमेरिका, फ्रांस और इटली जैसे देशों में इस महामारी ने हाहाकार मचा दिया था। उस समय पूरे विश्व को इस बीमारी पर काबू पाने के लिए एक कारगर वैक्सीन की जरूरत थी।
2021 की शुरुआत में ही भारत ने सभी की उम्मीदों को पूरा करते हुए कोरोना वैक्सीन बनाकर इतिहास तो रचा लेकिन साथ ही दुनिया को अपने आगे नतमस्तक होने पर मजबूर भी कर दिया। भारत मे कोरोना वैक्सीन अभियान जोरों पर है। देश मे इस समय कोरोना वैक्सीन सबसे उचित और कारगर साबित हो रही है। यही कारण है कि भारत में कोरोना के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद अन्य देशों में भी इसकी मांग जोर पकड़ने लगी है। भारत को आज तक पिछड़ा समझने वाले।अन्य देश भी अब भारत सरकार से कोरोना वैक्सीन के लिए संपर्क कर रहे हैं। सरकार को हर रोज़ वैक्सीन की डिलीवरी के लिए अन्य देशों से पत्र मिल रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर विपक्ष लगातार देश की सफलता को दरकिनार करते हुए इस मुद्दे पर भी राजनीति कर रहा है। सरकार पर उठते विपक्ष के सवालों से मानो ऐसा लग रहा है जैसे राजनीतिक पार्टियों को देश में वैक्सीन कोई तमाशे का सामान लग रही है।
भारत में जारी है 2 टीकों का अभियान
दरअसल भारत में इस समय एक नहीं बल्कि 2 कोरोना वैक्सीनों का अभियान जारी है। भारत में राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत कोविशील्ड और कोवैक्सीन लगाई जा रही है। कोविशील्ड जहां असल में ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राज़ेनेका का भारतीय संस्करण है वहीं कोवैक्सीन पूरी तरह भारत की अपनी वैक्सीन है जिसे ‘स्वदेशी वैक्सीन’ भी कहा जा रहा है। इसका निर्माण भारत बायोटेक ने आइसीएमआर के साथ मिलकर किया है। भारत में टीका लगाने की प्रक्रिया पिछले शनिवार से शुरू हुई थी जिसके तहत पहले चरण में कोरोनावॉरियर्स यानी स्वास्थ्य कर्मियों, पुलिस, सफाई कर्मियों और डॉक्टरों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है।
92 देशों ने मांगी भारत से वैक्सीन
भारत में बनी कोरोना वैक्सीन पर अन्य देशों ने किस तरह से अपना विश्वास जताया है उस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दुनिया के 92 देशों ने मेड इन इंडिया वैक्सीन के लिए भारत से संपर्क किया है। ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोना वैक्सीन की डिलीवरी के लिए अनुरोध किया है। ब्राजील ने वैक्सीन लाने के लिए विशेष विमान भारत भेजा है। इसके अलावा अन्य देश भी लगातार भारत सरकार के साथ संपर्क में हैं।
पड़ोसी देशों को पीएम मोदी का तोहफा
भारत ने अपने पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, मालदीव और सेशल्स आदि को मुफ्त में वैक्सीन देकर पूरे विश्व को यह संदेश दिया है कि भारत आपसी मतभेदों को भूल कर हर महामारी में अपने पड़ोसी देशों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है। भारत ने नेपाल और बांग्लादेश में वैक्सीन की 20 लाख और 10 लाख खुराकें भेजीं हैं जबकि म्यांमार के लिए शुक्रवार को कोविशील्ड की 15 लाख खुराक भेजी जा सकती हैं। वहीं इससे पहले बुधवार को वैक्सीन की डेढ़ लाख खुराक भूटान को और एक लाख खुराक मालदीव को भेजी गई थीं।
विपक्ष का तमाशा क्यों?
पिछले हफ्ते कोरोना वैक्सीन बनाकर भारत ने बड़ी कामयाबी हासिल की थी। हालांकि तब विपक्ष की ओर से भारत में बनी कोरोना वैक्सीन पर किसी भी तरह का कोई सवाल नहीं खड़ा किया गया था लेकिन अब विपक्ष और अन्य राजनीतिक पार्टियां मोदी सरकार कि दोनों वैक्सीन पर सवाल खड़े कर रही हैं। दुनिया में मोदी सरकार का बढ़ता कद इसका एक कारण जरूर माना जा सकता है। भारत जिस तरह से वैक्सीन की सुविधा अन्य देशों तक पहुंचा रहा है उससे जाहिर तौर पर पीएम मोदी के साथ आने वाले समय में अन्य देश खड़े दिखाई देने वाले हैं जो विपक्ष के लिए बड़ी चिंता का सबब जरूर हैं। लेकिन अगर विपक्ष के सवालों की बात करें तो उनकी तरफ से यह तर्क दिया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने टेस्टिंग के आंकड़े जारी किए बिना कोरोना वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। जो आने वाले समय में देश की जनता के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। भारत बायोटेक पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि कोवैक्सीन ने अद्भुत सुरक्षा आँकड़े दिए हैं जिसमें कई वायरल प्रोटीन ने मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दी है। ऐसे में विपक्ष के सवाल हर किसी के समझ से परे हैं।