भारत में एक विशेष पौधा पाया जाता है जिसे भांग का पौधा कहते हैं। भारतीय संस्कृति में यह माना जाता है कि आदिदेव भगवान शंकर भांग का सेवन किया करते थे। इसीलिए महाशिवरात्रि तथा सावन के समय में भगवान शंकर को भांग की पत्तियां और भांग से बना प्रसाद चढ़ाया जाता है। लेकिन आज तक दुनिया भर के वैज्ञानिक इसी बहस में लगे हुए हैं कि क्या भांग ड्रग्स की श्रेणी में आती है या दवा की श्रेणी में?संयुक्त राष्ट्र के कानून के अनुसार अब भांग को गैर मेडिकल इस्तेमाल के तौर पर एक प्रतिबंधित ड्रग माना जाएगा। भांग को प्रतिबंधित ड्रग्स की लिस्ट से बाहर करने के लिए हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में एक मतदान कराया था। इस दौरान 27 देशों ने प्रतिबंध हटाने के पक्ष में पमतदान किया था, वहीं 25 देशों ने प्रतिबंध लागू रखने के लिए मतदान किया था। हम आपको बता दें इन 25 देशों में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का नाम भी शामिल है। इन तीनों देशों ने प्रतिबंध लगाने के लिए मतदान किया और ब्रिटेन तथा अमेरिका जैसे देशों ने भांग से प्रतिबंध हटाने के लिए मतदान किया।
यदि भांग को खतरनाक ड्रग्स की श्रेणी से अलग कर दिया जाएगा तो भांग की मांग बढ़ जाएगी और उसका उपयोग दवाई बनाने में किया जा सकेगा। अमेरिका समेत 15 राज्यों में इस पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है और इसके द्वारा मेडिकल ट्रीटमेंट किया जा रहा है। इसी कारण भांग का एक बड़ा बाजार भी तैयार हो गया है। चूंकि भारत में अभी भी गांजा व भांग एक मादक पदार्थ के रूप में ही उपयोग किया जाता है, इसलिए सरकार इस पर से प्रतिबंध हटाने पर ज्यादा सावधानी बरत रही है।
संयुक्त राष्ट्र के द्वारा भांग भले ही एक दवा का दर्जा दे दिया लेकिन इसके सेवन पर प्रतिबंध अभी भी जारी रहेगा। यह बताया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार उस पदार्थ को खतरनाक ड्रग्स की श्रेणी में रखा जाता है जो बेहद ही एक्टिव होते है तथा इंसानों के लिए खतरनाक होते हैं। साथ ही मेडिकल में इसके फायदे बेहद कम या न के बराबर होते हैं। अब इस लिस्ट से भांग को हटा दिया गया है।