एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह बात कही है कि ऐसा कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित होंगे। लेकिन बच्चों के डॉक्टरों के संघ कहते हैं कि यह बात तथ्यों पर आधारित नहीं है। लोगों को डरना नहीं चाहिए। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह फंगस लोगों के साइनस, नाक, आंख के किनारे की हड्डियों में पाये जाते हैं और वहां से वे दिमाग में प्रवेश करते हैं। कभी-कभी यह लंग्स में भी पाये जाते हैं। उन्होंने कहा कि शरीर के अलग-अलग हिस्सों में पाये जाने के कारण इन रंग अलग-अलग होता है।
डाॅ गुलेरिया ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि कोरोना मरीजों में कुछ लक्षण बीमारी के तुरंत बाद देखे जाते है जिसे पोस्ट कोविड कहा जाता है। अगर वह लक्षण 4-12 सप्ताह तक दिखता है, तो उसे पोस्ट एक्यूट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है। अगर यह लक्षण 12 सप्ताह से अधिक देखा जाता है तो उसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है।
हमने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि आगे जाकर कोविड की तीसरी लहर में बच्चों में कोविड संक्रमण देखा जाएगा: डॉ.रणदीप गुलेरिया, एम्स के निदेशक pic.twitter.com/PY0vfIgyA8
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 24, 2021
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल भी इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। उन्होंने प्रेस काॅन्फ्रेंस में जानकारी दी कि अबतक देश में 19 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है, जो विश्व में सबसे बड़ा वैक्सीनेशन ड्राइव है। अभी देश में लगभग दो करोड़ वैक्सीन का स्टाॅक है। सरकार रोज करोना जांच को बढ़ाने की ओर अग्रसर है और हमें सफलता भी मिल रही है।
पिछले 22 दिनों से देश में सक्रिय मामलों की संख्या में कमी देखी जा रही है। 3 मई के समय देश में 17.13% सक्रिय मामलों की संख्या थी अब यह घटकर 10.17% रह गई है। पिछले 2 हफ्तों में सक्रिय मामलों की संख्या में करीब 10 लाख की कमी देखी गई है: स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल pic.twitter.com/TarUJ6Xxyv
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 24, 2021