कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में बॉर्डर सील होने के कारण एक से अन्य राज्यों में आने वाले जायदातर वाहनों की आवाजाही बंद है। वहीं लॉकडाउन 4.0 में केंद्र सरकार ने कुछ रियायत के साथ देश को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कुछ शर्तों के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को पुनः खोलने के दिशा निर्देश जारी किये थे। जिसमें ई-पास जारी करने के पश्चात दिल्ली NCR में प्रवेश करने की अनुमति भी दी गयी। लेकिन अब इसके चलते यात्रियों को बहुत ही दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों को हो रही दिक्कत को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार से एक हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है। दिल्ली से एनसीआर में आवागमन की हो रही दिक्कतों पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से एक सप्ताह में रुख साफ करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह टालते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे इस बीच केन्द्र सरकार और दिल्ली सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट में जवाब दाखिल करें। हालांकि उत्तर प्रदेश और हरियाणा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामे दाखिल कर दिये गये थे। लेकिन उनकी प्रति भी न्यायाधीशों के पास रिकॉर्ड मौजूद नहीं थे। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर उन्हें भी रिकार्ड पर पेश करने का आदेश दिया है। ये आदेश न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने रोहित भल्ला की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील का कहना था कि दिल्ली एनसीआर को पूरी एक एनसीआर की अवधारणा से विकसित किया गया है इसके बावजूद लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरूग्राम आदि में जाने में दिक्कत होती है वहां सीमाओं पर राज्य सरकारें घुसने नहीं देती हैं। याचिकाकर्ता के अनुसार एनसीआर रीजन में सीमाओं पर रोका जाना एनसीआर की अवधारणा के खिलाफ है। पूरे एनसीआर को एक क्षेत्र की तरह देखा जाना चाहिए। याचिका में ये भी कहा गया है कि केन्द्र और राज्य सरकारों को मिल कर एक कामन पोर्टल तैयार करना चाहिए जिस पर लोगों को ऑनलाइन ई-पास मिल सकें ताकि लोगों को एनसीआर में आवागमन में दिक्कत न हो।
यह भी आरोप लगाया है कि एनसीआर की राज्य सरकारें केन्द्र के आदेशों का पालन नहीं कर रही हैं। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि प्रदेश सरकार केन्द्र के सभी आदेशों का यथावत पालन कर रही है, लेकिन इतना जरूर है कि सीमा पर आवागमन थोड़ा नियंत्रित है। आवश्यक वस्तुओं और आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही आने जाने दिया जा रहा है। ऐसा राज्य सरकार लोगों की सेहत और जीवन की प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए कर रही है।
हरियाणा की ओर से पेश वकील ने कहा कि हरियाणा सरकार दिल्ली में आने जाने वाले लोगों के लिए ई-पास जारी कर रही है। पीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलों पर कहा कि राज्य सरकारें अपने मुताबिक नीति तय करने को स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को याचिका की कापी दे और सालिसिटर जनरल केन्द्र सरकार व दिल्ली की सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट में जवाब दाखिल करेंगे।