दुल्ला नामक डाकू अमीरों को लूट कर गरीबों को करता था दान, उसी के नाम पर मनाई जाती है लोहड़ी, जानिए रोचक किस्सा

अवध की तहजीब में उसी संस्कृति और परंपरा का एहसास कराने वाला पर्व लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। इस लोहड़ी त्योहार के पीछे डाकू दुल्ला की रोचक कहानी है। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया क‍ि लोहड़ी डाकू के नाम से मनाई जाती है।

0
413

लोहड़ी का नाम आते ही मन में खुशी और उल्लास का दृश्य आंखों के सामने आ जाता है। अवध की तहजीब में उसी संस्कृति और परंपरा का एहसास कराने वाला पर्व लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाएगी। नव दंपति और संतान सुख की प्राप्ति की खुशी इस पर की मस्ती को दोगुना कर देती है। लखनऊ गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने बताया क‍ि लोहड़ी डाकू के नाम से मनाई जाती है।लोहड़ी मनाने के पीछे कथा है कि दुल्ला नामक डाकू अमीरों को लूट कर गरीबों का दान करता था।

एक दिन उसके साथियों ने एक विवाहिता को लूटकर उसे साथ ले गए और डाकू के सामने पेश किया। डाकू साथियों पर नाराज़ हुआ और उसे वापस उसके पिता के पास घर भेज दिया। पिता ने उसे स्वीकार करने से मना कर दिया। उसने ससुराल पक्ष को भेजा तो उन्होंने ने भी अपनाने से मना कर दिया। डाकू ने उसे अपनी बेटी का दर्जा कर लोहड़ी के दिन ही धूमधाम से शादी की। उसी दिन से लोहड़ी मनाई जाती है और उसी की याद में पारंपरिक गीत सुंदरिए मुंदरिए तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो…गीत पर लोग आज भी नृत्य करते है। आपको बता दे कि सिख समाज के इस पर्व पर जहां आग जलाकर भांगड़ा और गिद्दा करते हैं तो वहीं शादी व संतान होने की खुशी पर लोहड़ी का विशेष आयोजन करते हैं। गीतों के साथ आग में रेवड़ी, मूंगफली, पट्टी और मखाना डालकर खुशियां मनाते है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here