भूगर्भा और रतनगर्भा नाम से मशहूर झारखंड की धरती में मिला बहुमूल्य खनिज का भंडार

वैज्ञानिक अनिल सिन्हा ने बताया कि झारखंड में टंगस्टन मिलने से देश इस मामले में आत्मनिर्भर बन जायेगा और दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जायेगी।

0
425
प्रतीकात्मक चित्र

झारखंड की धरती सही अर्थों में भूगर्भा और रतनगर्भा है। इस धरा ने न जाने अपने अंदर कितने बहुमूल्य खनिज संपदाओं के विपुल भंडार को संजोए रखा है। हाल ही में इस राज्य में टंगस्टन जैसे महत्वपूर्ण तत्व के अकूत भंडार का पता चला है। जो भारत को इस मामले में आत्मनिर्भर बना सकता है। इससे चीन पर भारत की निर्भरता खत्म हो जाएगी। गढ़वा जिले के सलतुआ इलाके में टंगस्टन के भंडार होने का पता चला है। जिसकी जानकारी जीएसआई ने केंद्र सरकार को दे दी है। टंगस्टन एक रेयर अर्थ एलिमेंट की श्रेणी में आता है।जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) इसपर काम कर रही है। फिलहाल यह जी 3 स्टेज में है। यानी अभी इसकी मैपिंग की जा रही है।

जीएसआई के सूत्रों के अनुसार इस साल के अंत तक मैपिंग और ड्रिलिंग शुरू कर दी जाएगी। टंगस्टन के भंडार का आकलन अभी नहीं किया गया है‌। झारखंड में टंगस्टन की यह पहली खदान है। वैज्ञानिक अनिल सिन्हा ने इस बारे में बताया कि झारखंड में टंगस्टन मिलने से देश इस मामले में आत्मनिर्भर बन जायेगा और दूसरे देशों पर निर्भरता खत्म हो जायेगी। भारत को अभी टंगस्टन के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। टंगस्टन का सबसे बड़ा निर्यातक देश चीन है। चीन में 56%, रूस में 5%, वियतनाम में 3% और मंगोलिया में 2% टंगस्टन पाया जाता है। चीन के साथ व्यापार कम होने की स्थिति में देश के लिए टंगस्टन का नया भंडार काफी कारगर साबित होगा।

और पढ़ें: झारखंड में क्रशर प्लांट पर माओवादियों ने किया हमला, बम लगाकर मशीन को नुकसान पहुँचाया

पहले टंगस्टन का सबसे ज्यादा प्रयोग बिजली के बल्ब में किया जाता था। हालांकि अब फाइटर जेट, रॉकेट, एयरक्राफ्ट, एटॉमिक पावर प्लांट, ड्रिलिंग और कटिंग टूल्स, स्टेनलेस स्टील के वेल्डिंग , इलेक्ट्रोड, फ्लोरेसेंट लाइटिंग, दांत के इलाज के अलावा उच्च तापमान वाली जगह में इसका इस्तेमाल होता है। 2200 डिग्री सेंटीग्रेट तक तापमान वाली जगह पर इसका प्रयोग किया जा सकता है। लोहा में इसके मिश्रण से उसकी ताक़त बढ़ जाती है। राजस्थान के डेगाना में सालों पहले टंगस्टन का पता चला था। लेकिन आज तक वहां पर खनन का काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इसके अलावा राजस्थान के नागौर, महाराष्ट्र के नागपुर और बंगाल के बाकुड़ा में टंगस्टन भंडार होने के बारे में जानकारी मिली है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here