भारत सरकार ने भी चीन के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद अपना कड़ा रुख अपना लिया है। दरअसल भारत-चीन के बीच मई महीने से चल रहें सीमा विवाद को बातचीत के द्वारा कम करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन 15 जून को चीन के सैनिक के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक के शहीद होने के बाद से देश के लोगों में चीन के खिलाफ आक्रोश पैदा हो गया है। इसी गुस्से को भांपते हुए अब सरकार की ओर से सेना को खुली छूट दे दी गई है कि अगर चीनी सैनिक उकसाएं तो उन्हें माकूल जवाब दिया जाए और ऐसे में किसी भी प्रोटोकॉल की न सोचें। दूसरी ओर भारत ने शांति की कोशिशों को बरकरार रखा है। हाल ही में चीन के साथ हिंसक झड़प को लेकर रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों से चर्चा की थी। सूत्रों की मानें, तो सरकार की ओर से सेना को साफ कर दिया गया है कि वह कोई भी एक्शन ले सकते हैं ।
सरकार की ओर बयान जारी किया गया है कि अगर सैनिकों की जान खतरे में पड़ती है और चीनी सैनिक खतरनाक हथियारों का इस्तेमाल करते हैं तो सेल्फ डिफेंस करते वक्त किसी प्रोटोकॉल की ना सोचें। बता दें कि दोनों देशों के बीच समझौता है कि बॉर्डर पर कोई गोली नहीं चलाएगा, हालांकि बिना गोली चलाए जिस तरह चीन ने धारधार हथियारों का इस्तेमाल किया वह भी इस समझौते का उल्लंघन ही था। यानी सरकार के इस आदेश के बाद अगर अब चीनी सैनिकों ने कुछ हिमाकत की तो जवाब देते वक्त किसी प्रोटोकॉल के बारे में नहीं सोचा जाएगा। हालांकि सरकार ने अभी बातचीत का रास्ता भी बंद नहीं किया है।
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सूत्रों के अनुसार इस हफ्ते दोनों देशों के बीच एक बार फिर सैन्य और डिप्लोमेटिक लेवल की बातचीत होने की संभावना है। इस बातचीत का मुख्य उद्देश्य मौजूदा तनाव को दूर करने, सैनिकों को पीछे करने और अप्रैल से पहले की स्थिति को लागू करने पर चर्चा हो सकती है। बता दें कि इससे पहले भी कई दौर की चर्चा हो चुकी है, लेकिन दोनों देशों के बीच बात नहीं बनी है। हर बातचीत में भारत की ओर से साफ किया गया है कि चीनी सैनिक पूरी तरह से पीछे हटें और अप्रैल से पूर्व की स्थिति को लागू करें, लेकिन चीनी सैनिक इस बात को मानने को ही तैयार नहीं हैं।
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