भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुस्तक ‘द प्रेसिडेंटल ईयर’ लगातार कई खुलासे कर रही है। इस बार पुस्तक में खुलासा हुआ है, “नेपाल भारत का एक राज्य बनना चाहता था लेकिन भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने राजा त्रिभुवन वीर विक्रम शाह के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इस पर पंडित नेहरू की प्रतिक्रिया थी कि नेपाल को सदैव एक स्वतंत्र राज्य ही रहना चाहिए। ” वहीं दूसरी तरफ इस पुस्तक में लिखा है, “अगर श्रीमती इंदिरा गांधी उस समय होती तो वे इस मौके का फायदा उठाती। जैसा उन्होंने सिक्किम के साथ किया। ”
प्रणब दादा ने दी मोदी को सलाह
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने इस पुस्तक के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री मोदी को सलाह दी थी। उन्होंने पुस्तक में लिखा था, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को असहमति के स्वर भी सुनने चाहिए। उनको विपक्ष को राजी करके और देश के सामने अपनी बात रखने के लिए संसद में और अधिक बोलना चाहिए। मोदी की संसद में मौजूदगी ही बहुत बड़ा बदलाव ला सकती है। पूर्व प्रधानमंत्रियों – जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेई या मनमोहन सिंह इन सभी ने संसद में अपनी उपस्थिति महसूस कराई। प्रधानमंत्री मोदी को इनसे प्रेरणा लेकर अपने दूसरे कार्यकाल में संसद में उपस्थिति बढ़ानी चाहिए।”
कांग्रेस के बारे में किया बड़ा खुलासा
इस पुस्तक में पूर्व राष्ट्रपति ने कांग्रेस के बारे में कई बड़े खुलासे किए हैं। पुस्तक में लिखा गया है, “मेरे राष्ट्रपति बनने के पश्चात कांग्रेस ने अपना फोकस खो दिया। पार्टी की नहीं पहचान पाई कि उसका करिश्माई नेतृत्व खत्म हो चुका है। यही 2014 में पार्टी की हार का कारण होगा। उन नतीजों से मुझे राहत मिली की एक निर्णायक जनादेश आया। लेकिन मेरी पार्टी रही कांग्रेस के प्रदर्शन से मुझे निराशा हुई”