चैत्र पूर्णिमा पर शाही स्नान में शामिल नहीं होंगे आम लोग, साधु संतों से विचार-विमर्श कर प्रशासन ने लिया बड़ा फैसला

चैत्र पूर्णिमा पर अब शाही स्नान के लिए केवल साधु-संत शामिल होंगे, आम जनमानस को शाही स्नान में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। आईजी कुंभ संजय गुंज्याल और मेला अधिकारी दीपक रावत ने तीनों बैरागी अखाड़ों और बड़ा उदासीन अखाड़े के संतों से मुलाकात करके यह फैसला लिया है।

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देश में बढ़ते हुए कोरोनावायरस के मामलों के कारण उत्तराखंड में लग रहे कुंभ मेले को प्रतीकात्मक रखा जाएगा। कुछ समय पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ मेले को प्रक्रियात्मक रखने की अपील की थी जिसके बाद स्वामी अवधेशानंद सरस्वती जी ने इस बात का ऐलान किया था कि कुंभ मेले को बड़ी सादगी के साथ संपन्न किया जाएगा। अब बताया जा रहा है चैत्र पूर्णिमा पर होने वाले शाही स्नान में केवल साधु संत शामिल होंगे आम आदमी इस स्नान में शामिल नहीं हो सकेगा। आईजी कुंभ संजय गुंज्याल और मेला अधिकारी दीपक रावत ने तीनों बैरागी अखाड़ों और बड़ा उदासीन अखाड़े के संतों श्रीमहंत दुर्गादास, श्रीमहंत महेश्वर दास, श्रीमहंत अद्वेतानंद, कोठारी दामोदर दास, व्यास मुनि, निर्मल अखाड़े से देवेंद्र शास्त्री, कोठारी जसविंदर सिंह, नया उदासीन के सचिव जगतार मुनि से मुलाकात की, जिसके बाद यह अहम फैसला लिया गया।

अखाड़ों के पदाधिकारियों ने आईजी और मेला अधिकारी को आश्वासन दिया कि चैत्र पूर्णिमा के शाही स्नान के दौरान उत्तराखंड सरकार की सभी गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। शाही जुलूस में अखाड़ों के साधु-संत सीमित संख्या में स्नान करेंगे। वही इस बात के भी निर्देश दिए गए हैं कि सरकार के द्वारा बताई गई सीमित संख्या में ही जुलूस में वाहन शामिल होंगे। जो समय स्नान के लिए पुलिस प्रशासन के द्वारा तय किया जाएगा उसी समय में स्नान करना होगा। कोरोना संक्रमण से कुंभ मेले को मुक्त करने के लिए लगातार वहां आने वाले लोगों की जांच की जा रही है। वास्तविकता में इतने बड़े आयोजन के बावजूद देश के कई प्रमुख राज्यों के सामने कुंभ में इतने केस नहीं निकल रहे उसके बावजूद भी लोग कुंभ को लेकर भ्रम फैला रहे हैं।

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