हम सभी जानते हैं कि भारत में सबसे प्रमुख परीक्षाओं में नीट तथा जेईई का नाम आता है। लेकिन हमारे देश की एक बहुत बड़ी समस्या यह भी है कि बहुत सारे छात्र तथा छात्राएं इन परीक्षाओं को निकाल लेते हैं लेकिन उसके पश्चात उन्हें आगे अध्ययन करने में बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उनमें सबसे बड़ी समस्या होती है माध्यम की समस्या, क्योंकि वे विद्यार्थी मातृभाषा से अध्ययन करके गए होते हैं और फिर उन्हें विदेशी भाषा अंग्रेजी से अपनी आगे की पढ़ाई करनी होती है।
वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार एक ऐसी रणनीति तैयार कर रही है जिसके तहत इंजीनियरिंग तथा मेडिकल पढ़ाई को अब मातृभाषा से संबद्ध किया जा सकेगा। यह बताया जा रहा है कि कुछ एनआईटी तथा कुछ जेईई और मेडिकल कॉलेज में हिंदी, मराठी, तमिल, गुजराती, बंगाली, तेलुगू, मलयालम, कश्मीरी, पंजाबी में पढ़ाई कराई जाएगी।
सबसे पहले भारत के कुछ प्रमुख इंजीनियरिंग कॉलेज में मातृभाषा में पढ़ाई की जाएगी, उसके बाद दूसरे कोर्स में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। एनटीए के अधिकारी ने कहा कि आठवीं तक की पढ़ाई मातृभाषा में अनिवार्य की गयी है। इसीलिए यदि राज्य सरकार चाहती हैं तो वे अपने प्रदेश में मेडिकल, इंजीनियरिंग तथा अन्य सामान्य प्रोग्राम्स को अपनी मातृभाषा में संपन्न करा सकती हैं।
केंद्र सरकार के द्वारा लिया गया यह फैसला बहुत ही अच्छा है और इसके लिए केंद्र सरकार के सभी अधिकारियों को धन्यवाद प्रस्तुत किया जाना चाहिए। क्योंकि सरकार के इस फैसले के बाद बहुत सारे विद्यार्थी आत्मनिर्भर हो जाएंगे क्योंकि वे इन परीक्षाओं में सफल हो जाते थे लेकिन उन्हें आगे माध्यम की समस्या होती थी। लोगों का यह कहना था, “यदि आपको इन परीक्षाओं में आगे बढ़ना है तो आपको अंग्रेजी में ही पढ़ाई करनी होगी लेकिन अब यह व्यवस्था खत्म हो जाएगी।”