केंद्र सरकार के तीनों कृषि बिल कानून के खिलाफ किसान संगठन पिछले 60 दिन से आंदोलन पर बैठे हुए हैं। इसी बीच आज केंद्र और किसान संगठन के बीच में 11 वें दौर की वार्ता हुई, लेकिन समाधान अभी तक नहीं निकल पाया है, जिसके बाद आज मीडिया कर्मियों से बात करते समय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान आंदोलन पर अपनी नाराजगी जताई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब आंदोलनों की पवित्रता नष्ट हो चुकी है और विपक्ष इसका राजनीतिक फायदा उठाने का पूरा प्रयास कर रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने बयान में कहा, “हम पिछले 11 वें दौर की बातचीत में किसान संगठनों को जितना विकल्प दे सकते थे। हमने वह विकल्प दे दिए, लेकिन उनके मन में किसानों के हित की कोई भावना नहीं है, लेकिन कुछ ताकतें चाहती हैं कि किसान आंदोलन जारी रखें और किसान भी उन्हीं के बहकावे में आ गए हैं। हमारे हर दौर की बातचीत में किसान संगठन बस एक ही रट लगाए हुए कि कृषि बिल कानून वापस लो जबकि हमने बेहतरीन विकल्प सामने दे दिए थे, फिर भी वह सुनने को तैयार नहीं है।”
वहीं उन्होंने अपने बयान में प्रधानमंत्री मोदी के बारे में जिक्र करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा से किसानों को सशक्त बनाना चाहते थे। इसलिए हमारी सरकार यह बिल लेकर आई थी। लेकिन पंजाब समेत अन्य राज्यों के किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया। हमने उनकी बात को भी स्वीकार करते हुए संशोधन के लिए कई बार किसान संगठन को प्रस्ताव दिया था, लेकिन वह सुनने के लिए तैयार ही नहीं थे। अब कुछ लोग किसान आंदोलन के बहाने सभी के बीच में गलतफहमियां पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी वजह से अब आंदोलन की पवित्रता नष्ट हो रही है, जिसका मुझे काफी खेद हो रहा है।”
वहीं उन्होंने अपनी बातचीत खत्म होते हुए कहा कि हमारे और किसान संगठन के बीच में 11 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन निर्णय नहीं निकल पाया है। कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने मतलब के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रही हैं। अभी शायद यह बात किसी को समझ ना आए, लेकिन एक समय ऐसा आएगा जब सारी सच्चाई धीरे-धीरे सामने आ जाएगी कि किसानों के कंधे का इस्तेमाल करके सभी अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। फिर भी मुझे उम्मीद है कि किसान और सरकार के बीच में जो बातचीत हो रही है, उसका अच्छा परिणाम निकलेगा।