दक्षिण का वह 600 साल पुराना विष्णु तीर्थ, जिसके शिखर की परछाई जमीन पर नहीं पड़ती

दक्षिण भारत के तमिलनाडु में भगवान विष्णु को समर्पित कूडल अझगर नाम का एक मंदिर स्थित है। यह दक्षिण भारत का प्रमुख मंदिर है जिसे लगभग 600 साल पुराना माना जाता है। इसकी प्रमुखता यह है कि इस मंदिर के शिखर की परछाई जमीन पर नहीं पड़ती है।

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भारत में बहुत सारे मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं। जिसमें दक्षिण भारत के बहुत सारे मंदिर शामिल है। तमिलनाडु के मदुरई शहर को प्राचीन मंदिरों का शहर माना जाता है यहां पर भगवान विष्णु को समर्पित कूडल अझगर नामक एक मंदिर स्थित है। इस मंदिर को बहुत ही खूबसूरती के साथ अलग-अलग रंगों से सजाया गया है। यहां मिले शिलालेखों के अनुसार यह मंदिर करीब 600 साल पुराना है। यह माना जाता है कि 12 से 14 वीं  शताब्दी के बीच इस मंदिर को मूल रूप से पंड्या राजवंश के राजाओं ने बनाया था। बाद में विजय नगर और मदुरै के राजाओं ने 16वीं शताब्दी में मंदिर के मुख्य हॉल और अन्य मंदिरों का निर्माण कराया था।

यह मंदिर भगवान विष्णु के 108 दिव्य स्थानों में से एक है। यह माना जाता है यहाँ भगवान विष्णु कूडल अझगर के रूप में राक्षस सोमका को मारने के लिए प्रकट हुए थे। इस राक्षस ने भगवान ब्रह्मा से चार वेदों को चुरा लिया था ब्रह्मांड पुराण के सातवें अध्याय में इस बात का जिक्र किया गया है। यह बताया जाता है कि यह एक वैष्णव मंदिर है,मंदिर के अंदर भगवान विष्णु की बैठी हुई, खड़ी हुई और लेटी हुई मुद्रा में मूर्तियां है, जो कि ग्रेनाइट से बनाई गई है। बैठी हुई मुद्रा में स्थापित प्रतिमा 6 फुट ऊंची श्रीदेवी और भू देवी की प्रतिमा भगवान की मूर्ति के दोनों ओर स्थित हैं। मंदिर के अंदर लकड़ी की नक्काशी भी की गई है और भगवान राम का राज्य विशेष समारोह में दर्शाया गया है। इस मंदिर की सबसे प्रमुख बात यह है कि इस मंदिर के शिखर की परछाई की जमीन पर नहीं पड़ती है।

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