तो क्या कोरोना की वजह से हो चुकी है चीन के बुरे वक़्त की शुरुआत?

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चीन के वुहान ने विश्व भर के लगभग सभी बड़े देशों को वो दर्द दिया है जिसे शायद ही कभी भुलाया जा सके। चीन के वुहान से कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई। देखते ही देखते इस वायरस ने साल भर से भी कम समय में दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। कोरोना ने अमेरिका और भारत समेत अन्य देशों के आम जन जीवन को पूरी तरह से अस्त व्यस्त कर दिया है। जहां से पटरी पर लौटना हर किसी के लिए आसान नहीं रहने वाला।

इस वैश्विक महामारी के बाद ये भी स्पष्ट हो गया है कि अब चीन की छवि कभी नहीं सुधरने वाली। इस स्तिथी में अगर कहीं ये साबित हुआ कि कोरोना चीन की लैब में तैयार हुआ है तो आने वाले समय में दुनिया के सबसे ताकतवर देश की रातों की नींदे भी उड़ सकती है। फ़िलहाल चीन की बादशाहत खत्म होने की शुरुआत हो चुकी है। विश्व भर में कई देशों ने चीन के विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाया हुआ है। कोई चीनी कंपिनयों का बहिष्कार कर रहा है तो कोई अपनी कंपनियों से चीनी कर्मचारियों को निकाल रहा है।

इंडोनेशिया में निकाला गया मार्च

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक इंडोनेशिया में चीन के खिलाफ आक्रोश का आलम ये है कि वहां चीन के नागरिकों के विरुद्ध मार्च निकाला जाना शुरू हो गया है। TFIPOST की रिपोर्ट के मुताबिक सुलावेसी प्रांत में 500 चीनी प्रवासी कर्मचारियों के वापस आने पर रोक लगा दी गयी है। इंडोनेशिया के अलावा अन्य देशों ने भी चीन का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है।



इटली में चीनियों का हुआ बहिष्कार

अमेरिका के बाद कोरोना ने इटली में सबसे ज्यादा तबाही मचाई है। जिससे इटली चीन के विरुद्ध सबसे आगे खड़ा दिखाई दे रहा है। इटली में कोरोना के तांडव ने उत्तरी इटली में कम्पनियो पर ताले लगा दिए। जिसे वहाँ रह रहे चीनी बेरोजगार होने लगे। इसके बाद इटली ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। मजबूरन उन्हें अपने देश वापस लौटना पड़ा।

कोरियन कंपनियों ने जताई भारत आने की इच्छा

hyndai स्टील्स, Lotte जैसी कोरियन कंपनियों ने भी अब भारत आने की इच्छा जाता दी हैं। जिससे भारत ने भी अपने FPI नियम और भी सख्त कर दिए है। साथ ही कई राज्यों में श्रम सुधारों के लिए मार्ग भी प्रशस्त किया है।

एप्पल भी चाइना छोड़ने को बेताब

द इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक एप्पल कंपनी के कुछ अधिकारियों ने भारत में निवेश के लिए बातचीत शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि एप्पल अपने कुल उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत भाग भारत में शिफ्ट करने वाला हैं। अगर ऐसे हुआ तो इसी भारत को रोजगार के साथ अन्य फायदे भी होंगे।



भारत लौट सकती है घरेलू कंपनी लावा

ये भी कहा जा रहा है कि घरेलू ब्रैंड लावा अगले 5 सालो में करीब 800 करोड़ का निवेश भारत में करने वाली है। फिलहाल लावा अपने फोन का 33 प्रतिशत से अधिक निर्यात मैक्सिको, अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया जैसे बाजारों में करती है।

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