कोरोना संक्रमण के दौरान वरदान साबित हुआ स्मार्टफोन, आम लोगों के लिए ऐसे बना सुरक्षा कवच

एएसईआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजीकृत छात्रों में से 60 प्रतिशत से अधिक ऐसे परिवारों से आते हैं, जिनके पास कम से कम एक स्मार्टफोन है। पंजीकृत बच्चों के बीच बीते दो साल में यह अनुपात 36.5 प्रतिशत से काफी तेजी से बढ़कर 61.8 प्रतिशत हो गया है।

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कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान स्‍मार्टफोन ने लोगों के रोजमर्रा की जिंदगी को बहुत हद तक राहत दी है। फिर बात चाहे ऑनलाइन शॉपिंग की हो या छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई की। शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर), 2020 के अनुसार, कोविड-19 महामारी के चलते स्कूल बंद होने के दौरान तीन-चौथाई बच्चों को पढ़ाई में परिवार के सदस्यों द्वारा कई प्रकार की सहायता मिल रही है।

60 प्रतिशत छात्रों के पास है स्मार्टफोन

बुधवार को जारी की गई एएसईआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजीकृत छात्रों में से 60 प्रतिशत से अधिक ऐसे परिवारों से आते हैं, जिनके पास कम से कम एक स्मार्टफोन है। पंजीकृत बच्चों के बीच बीते दो साल में यह अनुपात 36.5 प्रतिशत से काफी तेजी से बढ़कर 61.8 प्रतिशत हो गया है। सरकारी और निजी दोनों तरह के स्कूलों में पंजीकृत छात्रों के परिवारों में प्रतिशत के मामले में समान वृद्धि हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘वे राज्य जहां स्मार्टफोन धारक परिवारों वाले बच्चों के अनुपात में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, उनमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा शामिल हैं।’ यह अध्ययन 26 राज्यों और चार केन्द्रशासित प्रदेशों में किया गया था। इस दौरान 52,227 परिवारों और पांच से 16 साल के आयुवर्ग के 59,251 बच्चों तथा प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्रदान कर रहे 8,963 सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों से संपर्क किया गया था।

आपको बता दें कि दिल्‍ली सहित कई राज्‍यों में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अब भी स्‍कूल बंद हैं। इन राज्‍यों में छात्रों की ऑनलाइन क्‍लास चल रही है। हालांकि, अब भी काफी बच्‍चों के पास स्‍मार्ट फोन नहीं है। इस दिशा में कई राज्‍य सरकारें काम कर रही हैं। गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्‍या 80 लाख से ज्‍यादा पहुंच गई है। दिल्‍ली, महाराष्‍ट्र और केरल जैसे राज्‍यों की हालात काफी खराब है। ऐसे में स्‍मार्टफोन के जरिए पढ़ाई एक अच्‍छा और सुरक्षित विकल्‍प है।

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