कांग्रेस के दबाव में झुकी शिवसेना, नया कृषि कानून लागू करने का आदेश दिया वापस

कांग्रेस की तरफ से कैबिनेट बैठक के बहिष्कार की धमकी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को नए कृषि कानून का अगस्त महीने में दिया अपना आदेश वापस ले लिया है। इसका अर्थ यह है कि अब राज्य सरकार कृषि सुधार कानूनों को राज्य में लागू नहीं करेगी।

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शिवसेना को भारतीय जनता पार्टी का सहयोगी दल कहा जाता था। लेकिन कुछ परिस्थितियों के कारण और सत्ता में काबिज होने के कारण सिर्फ सेना ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि जो उद्धव ठाकरे भाजपा के पुराने सहयोगी दल के नेता होने के बाद भी भाजपा से सहमत नहीं रह पाए वह इन नई पार्टियों के साथ कैसे अपनी दाल गला पाएंगे? इसीलिए लगातार यह देखा जाता है कि महाराष्ट्र में शिवसेना जब भी कोई राष्ट्रवादी कदम उठाती है। तब तब उसे दोनों पार्टियों के दबाव में आकर अपने कदम को पीछे करना पड़ता है।

कांग्रेस की तरफ से कैबिनेट बैठक के बहिष्कार के बाद अब महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को नए कृषि कानून को लागू करने का अगस्त महीने में दिया अपना आदेश वापस ले लिया है। राज्य सरकार में सहयोगी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की तरफ से महाराष्ट्र में कृषि कानूनों का विरोध कर इसे कृषि विरोधी के कहने पर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली सरकार ने कृषि सुधार अधिनियमों को लागू करने को लेकर अपने आदेश को वापस ले लिया है।

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने पहले ही कहा था कि सभी तीनों सत्ताधारी दलों ने बिलों का विरोध किया है। पार्टियों को इस मुद्दे को कैबिनेट बैठक में उठाना था जो आज आयोजित हो रही है। वेणुगोपाल ने दावा किया कि राज्य में इस कदम से कृषि संबंधित तीन कानूनों के अस्वीकार एवं किसान विरोधी प्रावधानों को दरकिनार किया जाएगा। इन प्रावधानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने और कृषि उपज विपणन समितियों को बाधित करने का प्रावधान शामिल है।

Image Source: Tweeted by @CMOMaharashtra

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