साल 2019 में जब केंद्र में मोदी सरकार ने लगातार दूसरी बार शपथ ली तो हर किसी की नजर इसी पर थी कि सरकार अनुच्छेद 370 को लेकर किए गए अपने वादे को कितनी जल्द पूरा करती है। भारत से ज्यादा पाकिस्तान की नजरें आर्टिकल 370 को हटाए जाने पर टिकी हुई थी। क्योंकि पाकिस्तान कभी नहीं चाहता था कि जम्मू-कश्मीर से इस धारा को पूरी तरह से खत्म किया जाए। अब जब सरकार बनने के बाद सदन की पहली ही कार्यवाही में मोदी सरकार ने आर्टिकल 370 को पूरी तरह से खत्म कर ही दिया है तो ऐसे में पाकिस्तान का तिलिमिलाना जायज था।
इस समय पाकिस्तान पूरी तरह से बौखलाया हुआ है। दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को भी पाकिस्तान ने रोक दी है। इसके अलावा पाकिस्तान ने इस बात के भी संकेत दे दिए है कि वो भारत के साथ व्यापार पर भी रोक लगा सकता है। लेकिन पाक देश इस समय शिमला समझौते (shimla samjhota) का हवाला देते हुए संयुक्त राष्ट्र से इस मामले में दखल देने की अपील कर रहा है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी शिमला समझौते (shimla samjhota) का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच मध्यस्थता से इनकार कर दिया। सयुंक्त राष्ट्र की तरफ से पाकिस्तान के लिए ये एक बड़ा झटका भी है। अब सवाल ये है कि आखिर ये शिमला समझौता है क्या? जिसके चलते पाकिस्तान भारत से अनुच्छेद 370 पर लिए गए फैसले को वापस लेने की बात कर रहा है।
कब हुआ था शिमला समझौता
भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता (shimla samjhota) साल 1972 में हुआ था। उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फ़िक़ार अली भुट्टो थे। 1972 से ठीक एक साल पहले 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान 90 हजार पाक सैनिकों को बंदी बना लिया गया था। जिसके बाद सैनिकों की रिहाई की कवायद शुरू हुई। दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। जिस पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे। इसी समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है।
जाने इस समझौते से जुड़ी बड़ी बातें
1. दोनों देशों के बीच यह समझौता इसी के तहत हुआ था कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार आए और दोनों देश शांति बनाए रखने और एक दूसरे का सहयोग करने का संकल्प लें।
2. 1971 में इसी समझौते के साथ भारत और पाक के बीच युद्ध को विराम दिया गया और तय हुआ कि 20 दिनों के अंदर दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमा में चली जाएंगी।
3. शिमला समझौते के तहत सबसे बड़ा फैसला ये लिया गया कि दोनों देशों के बीच आपसी मतभेद सिर्फ इन देशों के अधिकारी ही सुलझाएंगे। तीसरे किसी देश की मध्यस्थता नहीं की जाएगी।
4. यह भी तय हुआ कि जहां तक संभव होगा, व्यापार और आर्थिक सहयोग फिर से स्थापित किए जाएंगे।
5. अगर दोनों देशों के बीच मतभेद आपसी सहमती से दूर नहीं होते तो उस स्तिथी में दोनों पक्ष में से कोई भी बदलाव करने की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा।
6. शांति की स्थापना, युद्धबंदियों और शहरी बंदियों की अदला-बदला के सवाल, जम्मू-कश्मीर के अंतिम निपटारे और राजनयिक संबंधों को सामान्य करने की संभावनाओं पर काम करने के लिए दोनों पक्षों के प्रतिनिधि मिलते रहेंगे और आपस में चर्चा करेंगे।