विश्व की सबसे प्राचीनतम भाषा संस्कृत के प्रति लोगों का लगाव धीरे-धीरे समाप्त हो गया है। वर्तमान समय में संस्कृत केवल कर्मकांड की भाषा रह गई है। केवल पूजा-पाठ करते समय मंत्रों के उच्चारण के समय इस भाषा का उपयोग किया जाता है। आप सभी जानते हैं कि भारत की शिक्षा नीति के अनुसार अब सभी अभिभावक अपने बच्चों को अंग्रेजी में शिक्षा दिलाने पर जोर देते हैं। ऐसे में आप सोच कर देखिए कि क्या गणित और विज्ञान जैसे विषय संस्कृत भाषा में पढ़ाई जा सकते हैं? भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंदौर ने यह पहल की है कि प्राचीन ग्रंथों में सदियों से संजोए गए गणितीय और विज्ञान विषय की ज्ञान को वर्तमान पीढ़ी से जोड़ने के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमें प्रतिभागियों को संस्कृत में यह विषय पढ़ायें जाएंगे।
संस्कृत में रचे गई भारत के प्राचीन ग्रंथों में गणित और विज्ञान के भी कई ग्रंथ हैं। लेकिन वर्तमान पीढ़ी इस बात से अनभिज्ञ है कि संस्कृत में भी इन विषयों पर कुछ लिखा गया होगा, हालांकि यह माना जाता है कि संस्कृत विश्व की सबसे स्पष्ट और सबसे पुरातन भाषा है। जिसमें से हिंदी और अन्य भाषाएं निकली हैं। इसका शब्दकोश बहुत बड़ा है। इसमें लगभग 102 अरब 78 करोड़ 50 लाख शब्द हैं। संस्कृत एक ऐसी भाषा है जिसमें कम से कम शब्दों में अपने भावों को प्रकट किया जा सकता है। दुनिया की सभी प्राचीन रचनाएं संस्कृत में लिखी गई हैं।
ज्यामिति, बीजगणित और ज्योतिष एवं खगोल विद्या पर अति प्राचीन किताबें में संस्कृत भाषा में लिखी हैं। अमेरिकन हिंदू विश्वविद्यालय के एक शोध के अनुसार संस्कृत में वार्तालाप से मानव का तंत्रिका तंत्र सक्रिय रहता है। इसका सकारात्मक प्रभाव रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रित करता है। यह भी माना जाता है कि गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर शरीर की 24 ग्रंथियों को प्रभावित करते हैं। एकाग्रता को बढ़ाते हैं। महर्षि कणाद ने भौतिकी में प्रकाश एवं उष्मा को एक ही तत्वों के विभिन्न रूप हजार साल पहले बताया था जो कि वैज्ञानिक अब बता रहे हैं। नागार्जुन ने रसायन शास्त्र का प्रसिद्ध रचना रस रत्नाकर भी संस्कृत में लिखी गई है।
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