विजयदशमी पर संघ प्रमुख ने स्वयंसेवकों को किया संबोधित, भारत की सरहदों को लेकर कहीं यह बात

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी के मौके पर नागपुर स्थित मुख्यालय में शस्त्र पूजा की और उन्होंने स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस पूरे संबोधन में मोहन भागवत ने कई प्रमुख बातें कहीं। जिसमें चीन के बारे में उन्होंने कहा कि कोई दोस्ती को दुर्बलता ना समझे।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को विजयदशमी के मौके पर देशभर के स्वयंसेवकों को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कई प्रमुख बातें कहीं जो निम्न है:

मोहन भागवत ने संक्रमण के समय को याद करते हुए कहा, “सारी परिस्थिति में कोरोना महामारी से होने वाला नुकसान भारत में कम है। इसके कारण कोरोना महामारी कैसे फैलेगी इसे समझकर हमारे शासन प्रशासन ने उपाय बताएं। उनका अमल हो, इसकी तत्परता से योजना की। उन्होंने इसका बढ़ा चढ़ाकर वर्णन भी किया जिससे जनता में भय आ गया। उसका फायदा भी हुआ कि जनता अतिरिक्त सावधान हो गई।”

भागवत ने कहा, ” कोरोना महामारी के कारण समाज दूसरों की चिंता करने में जुट गया। लोग सहायता लेकर गए तो लोगों ने यहां तक कह दिया कि हमारे पास 7 दिन का राशन है जिसे जरूरत हो उसे दे दीजिए। संकट में लोगों ने परस्पर सहयोग दिखाया अंग्रेजी में से सोशल कैपिटल कहते हैं लेकिन यह हमारे संस्कारों में है। बाहर से आकर हाथ पैर धोना सफाई का ध्यान रखना, यह हमारी संस्कृति का संचय है यह हमारे व्यवहार में आ चुका है।”

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा, ” इस महामारी में चाइना का नाम आता है। शंका है चीन ने इस कालावधि में हमारी सीमाओं पर अतिक्रमण किया है। यह उनका साम्राज्यवादी स्वभाव है। सब जानते हैं इस बार भारत में जो प्रतिक्रिया दी उसकी वजह से वह सहम गया, क्योंकि भारत तन कर खड़ा होगा। भारत की सेना ने अपनी वीरता का परिचय दिया। अब दूसरे देशों ने भी चीन को आँख दिखाना शुरू कर दिया है। हमारा स्वभाव मित्रता करने वाला है। हम लड़ने वाले नहीं हैं लेकिन हमारी मित्रता की प्रवृत्ति को कोई दुर्बलता न समझे!.. चीन को पहली बार समझाया है कि हम इतने कमजोर नहीं है।”

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