आज भारत के 6 प्रधानमंत्रियों के साथ कार्य करने वाले राजनेता रामविलास पासवान का जन्मदिन है। रामविलास पासवान को बिहार के प्रमुख दलित नेताओं में माना जाता है। वर्तमान में उनकी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी को लेकर उनके बेटे चिराग पासवान और उनके छोटे भाई पशुपति के बीच विवाद चल रहा है। 74 साल की उम्र में उनका निधन दिल्ली के एक्सकोर्ट हॉस्पिटल में हो गया था। रामविलास पासवान लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक और पूर्व अध्यक्ष थे। रामविलास पासवान के नाम 6 प्रधानमंत्रियों के साथ कार्य करने का रिकॉर्ड दर्ज है।
प्रारंभिक जीवन
लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 के दिन बिहार के खगरिया नामक गांव में एक दलित परिवार में हुआ था। पासवान बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से MA तथा पटना यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई कर चुके हैं। 1969 से 2019 तक यानी 50 साल से वे विधायक और सांसद है। बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में उतरे रामविलास पासवान कांशीराम और मायावती की लोकप्रियता के दौर में भी बिहार के दलितों के एक आवाज बने थे। लेकिन 8 अक्टूबर 2020 यानी आज वह आवाज सदैव के लिए खामोश हो गई।
राजनैतिक व्यवहार
1969 में पहली बार रामविलास पासवान बिहार के विधानसभा चुनावों में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए। 1974 में जब लोकदल बना तो पासवान उससे जुड़ गए और महासचिव बनाए गए। आपातकाल का विरोध करने के कारण रामविलास पासवान ने जेल भी काटी। 1977 में छठी लोकसभा में पासवान पार्टी के उम्मीदवार के रूप में निर्वाचित हुए और 1982 में लोकसभा में पासवान दूसरी बार सांसद बने। इसके बाद सन् 1983 में रामविलास पासवान ने दलितों के उत्थान के लिए दलित सेना का गठन किया। 1989 में नवी लोकसभा में वे तीसरी बार लोकसभा सांसद बने 1996 में 10 वीं लोकसभा में भी निर्वाचित हुए और 2000 में पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। 12वीं 13वीं और 14वीं लोकसभा में भी पासवान लगातार मिल रहे और केंद्र सरकारों में मंत्री बनते रहे।
रामविलास के बारे में कहा जाता है कि सरकार किसी की भी हो रामविलास पासवान तो मंत्री बनेंगे ही, इसी का परिणाम है कि रामविलास पासवान पंडित अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में भी मंत्री थे और यूपीए की सरकार में भी मंत्री बने। लेकिन 15वीं लोकसभा के चुनाव में पासवान हार गए और 2010 में बिहार से राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए कार्य में तथा पेंशन मामले और ग्रामीण विकास समिति के सदस्य बनाए गए। 2009 के लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर यूपीए से जुड़े लेकिन पासवान को सफलता नहीं मिली और वह अपनी हाजीपुर सीट भी नहीं बचा पाए। 2014 में पासवान फिर नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली आंटी के साथ जुड़े और हाजीपुर से लोकसभा चुनाव लड़ा उनकी पार्टी के 6 सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे पासवान को केंद्र में मंत्री बनाया गया और पासवान के बेटे चिराग पासवान जमुई से चुनाव जीते। रामविलास पासवान इस बार छठी बार केंद्रीय मंत्री बने थे।
गजब राजनीतिक कैरियर
- 09 बार लोकसभा सदस्य
- 01 बार राज्यसभा सदस्य
- 05 बार केन्द्र में मंत्री
- 1969- पहली बार एमएलए बने
- 1977 में पहली बार रिकॉर्ड वोट से लोकसभा चुनाव जीते
- 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में हाजीपुर लोकसभा लोकसभा चुनाव जीते
- वर्ष 1999 में रोसड़ा संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीते, 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया!
- रामविलास पासवान का नाम देश के 6 प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री बनने के नाम से भी जाना जाता था।
विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवगौड़ा, आई के गुजराल अटल बिहारी बाजपेई, मनमोहन सिंह, नरेंद्र मोदी इन सभी प्रधानमंत्रियों के साथ रामविलास पासवान ने काम किया था।
- रामविलास पासवान 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में केंद्रीय श्रम मंत्री बने!
- एच डी देवगौड़ा और गुजराल की सरकार में 1996 से 1998 तक रेल मंत्री बने!
- 1999 से 2001 तक रामविलास पासवान संचार और आईडी मंत्री बने!
- 2001 से लेकर 2002 के बीच प्रधानमंत्री रहे!
- 2004 से 2009 के बीच में रसायन उर्वरक और इस्पात मंत्री रहे!
- मोदी सरकार में भी उपभोक्ता मामले और खाद्य सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री बने थे।
अपने अंत समय तक रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान का साथ नहीं छोड़ा। चिराग पासवान ने जब यह तय कर लिया कि वे एनडीए का साथ छोड़ कर अकेले मैदान में अपनी पार्टी को उतारेंगे तब भी रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग का साथ दिया। वास्तव में भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान के जैसे बुद्धि कुशल राजनेता उंगलियों पर गिरने योग्य रह रहे हैं।
I am saddened beyond words. There is a void in our nation that will perhaps never be filled. Shri Ram Vilas Paswan Ji’s demise is a personal loss. I have lost a friend, valued colleague and someone who was extremely passionate to ensure every poor person leads a life of dignity. pic.twitter.com/2UUuPBjBrj
— Narendra Modi (@narendramodi) October 8, 2020