भारत सरकार के द्वारा लाए गए नए कृषि अधिनियम के विरोध में देश के कुछ प्रतिशत किसान देश की राजधानी दिल्ली में अपना डेरा जमाए बैठे है जबकि इस दौरान किसान नेता और सरकार के बीच 12 दौर की बातचीत हो चुकी है फिर भी कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है । किसान नेता बिल्कुल अपने जिद्द पर अडिग है और चाहते है कि सरकार नए अधिनियम और कानून को वापस ले। हालाकि सुप्रीम कोर्ट ने अस्थाई रूप से कानून पर रोक लगा दिया है फिर भी किसान देश की राजधानी दिल्ली को ख़ाली करने को तैयार नहीं हैं, लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन हुए हिंसा ने पूरे देश को हिला दिया है और जिस तरह से किसान नेताओं पार देश के लोगों का दवाब पड़ने लगा है उससे किसान भी बेचैन नजर रहे है। इस बात की झलक दिल्ली में अडिग किसान नेता राकेश टिकैत के द्वारा दिए गए बयान में भी देखने को मिली।
राकेश टिकैत ने क्या कहा
गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री के द्वारा सर्वदलीय बैठक में कहीं गई बातों का जवाब देते हुए कहा कि हम भी चाहते है कि किसान नेताओं और सरकार के बीच एक बार फिर बात चीत हो। अगर प्रधानमंत्री किसानों की इतना ही सोचते है तो उनसे आग्रह है कि वो किसानों नेता और सरकार के बीच बात चित करवाए। राकेश टिकैत ने प्रधानमंत्री द्वारा सर्वदलीय बैठक में दिए गए बयान पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की और कहा कि हम लोग कभी भी सरकार का सर नहीं झुकने देंगे।
सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने क्या कहा था
बजट सत्र से पहले आज आयोजित सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वार्ता के दौरान जो पेशकश सरकार की तरफ से की गई थी, उस पेशकश पर सरकार आज भी अडिग है। पीएम मोदी ने कहा कि देश के कृषि मंत्री और किसानों के बीच बस एक फोन काल की दूरी है और अगर किसान नेता सरकार से बातचीत करना चाहते है तो वो खुले मन्न से सरकार से बातचीत कर सकते है। सरकार के दरवाजे अभी भी किसानों के लिए खुले है।