भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के सबसे विकसित सात लोकतांत्रिक देशों की बैठक G7 को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने वन अर्थ और वन हेल्थ का नारा दिया। पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को एक जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कोरोना से भारत की लड़ाई के बारे में भी खुलकर बात कही। उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ भारत ने एक समग्र समाज के तौर पर लड़ाई लड़ी और इसमें सरकार, उद्योग व सिविल सोसायटी की एक समान भूमिका रही। भारत ने ओपन सोर्स डिजिटल टूल का इस्तेमाल किया इससे संक्रमित लोगों की पहचान करने, वैक्सीन प्रबंधन करने में मदद मिली। मोदी ने यह भी प्रस्ताव रखा कि भारत अपने इस अनुभव को दूसरे देशों के साथ साझा करने को भी तैयार है। वैश्विक स्तर पर एक हेल्थ गवर्नेंस बनाने की मुहिम को भी भारत की तरफ से पूरा समर्थन देने की बात प्रधानमंत्री ने कही।
सभी को उपलब्ध समान स्वास्थ्य सुविधाएं
कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी ने हेल्थ सेक्टर में दुनिया के देशों के बीच भेदभाव मिटाने की तरफ इशारा किया। जिसका स्वागत बहुत सारे वैश्विक नेताओं के द्वारा किया गया। वन अर्थ-वन हेल्थ के उनके नारे का जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने समर्थन किया। ब्रिटेन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान की सरकारों के प्रमुखों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के लिए खास इंतजाम किया गया था। सिर्फ वैश्विक नेताओं के बीच बंद कमरे में आयोजित बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन, जर्मन चांसलर मर्केल समेत हर नेता के सामने एक टीवी स्क्रीन था जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित किया।
सुरक्षा व्यवस्था
इस बैठक में करीब 6500 पुलिसकर्मी तैनात रहे। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस भी एक्टिव रहा। मीटिंग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों या संगठनों के लिए चार स्थान पहले ही तय कर दिए गए थे। एक प्रोटेस्ट प्लेस तो मीटिंग स्थल से 115 किलोमीटर दूर था। इस मीटिंग के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमिर पुतिन की मीटिंग पर भी सबकी नजर रही।
पीएम मोदी से पहले मनमोहन सिंह और अटल बिहारी वाजपेयी ने भी G7 में भी हिस्सा लिया था। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 2003 में शामिल हुए थे तो वहीं मनमोहन सिंह को 2005 से 2009 तक लगातार 5 साल तक G7 में शामिल होने का मौका मिला था।