सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से एक वीडियो वायरल हो रहा है यह वीडियो केरल में पीएफआई के द्वारा निकाली गई रैली का हिस्सा बताया जा रहा है। इस वीडियो में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों को जंजीर से झकड़ा हुआ दिखाया गया है। इसके अलावा वहां पर इस्लामिक नारे भी लगाए जा रहे हैं इस पूरी वीडियो पर हिंदू संगठनों ने आपत्ति जताई है।
लगातार राष्ट्र विरोधियों के निशाने पर देश के हिंदू संगठन हमेशा से ही रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत तेजी के साथ वायरल हो रहा है इस वीडियो में कुछ युवकों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक बनाकर उन्हें बेड़ियों में जकड़ा गया है इसके अलावा इस रैली में कुछ इस्लामिक नारे भी लगाए जा रहे हैं हिंदू संगठन के नेताओं ने इस पूरी वीडियो तथा इस पूरे कार्यक्रम पर आपत्ति जताई है। यह वीडियो उस दिन का बताया जा रहा है केरल के चेलारी में बीते दिनों पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने अपने स्थापना दिवस पर रैली निकाली थी। इस वीडियो को शेयर करते समय कैपशन लिखा जा रहा है कि इस्लामिक चरमपंथियों के द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग स्वयं सेवकों के दुर्व्यवहार किया जा रहा है लेकिन जांच में यह बात सामने आई है कि इनमें से कोई भी युवक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध नहीं रखता है।
दरअसल 17 फरवरी को स्थापना दिवस के मौके पर पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने केरल के चेलारी में एकता मार्च निकाला था। आयोजकों के मुताबिक इस एकता मार्च का मकसद ‘धार्मिक और नस्लीय भेदभाव के खिलाफ संदेश’ देना था। दिलचस्प बात यह है कि पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया को इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन माना जाता है। पीएफआई के 17 फरवरी वाले मार्च का ही एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें आरएसएस की वेशभूषा के साथ ब्रिटिश भारत के अधिकारियों की ड्रेस पहने युवकों को जंजीर से बंधा हुआ दिखाया गया है। वीडियो में आरएसएस की वेशभूषा में दिख रहे दोनों युवक भी पीएफआई के ही सदस्य हैं।
सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि देश का एक ऐसा संगठन जो लगातार बाढ़ हो, भूकंप हो, किसी भी प्राकृतिक आपदा में सबसे पहले लोगों के सहयोग के लिए जमीन पर उतरता है। लोग उस संगठन के कार्यकर्ताओं को बंदी बनाना चाहते हैं यह किस प्रकार की विचारधारा है?