हाथरस प्रकरण में PFI की फंडिंग का हाथ, विरोधियों को जरूर मिला होगा किसी का साथ

हाथरस गैंग रेप को लेकर जमकर हुई सियासत के बाद सुरक्षा एजेंसियों के हाथ बड़े सबूत लगे हैं। एजेंसियों ने दावा किया है कि हाथरस कांड के तर्ज पर यूपी में दंगे भड़काने की बड़ी साजिश रची जा रही थी। जिसके लिए एक वेबसाइट भी बनाई गयी थी। इसके पीछे PFI और SDPI का लिंक बताया जा रहा है।

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हाथरस कांड को लेकर देशभर में जमकर सियासत हो रही है। यूपी की योगी सरकार के खिलाफ विपक्ष ने पूरी तरह से मोर्चा खोल रखा है। हर दिन नए तथ्य निकलकर सामने आ रहे हैं। हाल ही में हाथरस प्रकरण को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल हाथरस कांड के पीछे हो रही सियासत का मकसद उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करना था। सुरक्षा एजेंसियों के हाथ लगे तथ्यों और सुरागों के बाद कहा जा रहा है कि यह एक सोची समझी साजिश थी ताकि यूपी सरकार को बदनाम किया जा सके। एंटी सीएए विरोध प्रदर्शन की तर्ज पर इस मुद्दे को फैलाने की साजिश थी। जिसका विपक्ष ने भी पूरा समर्थन किया।

इसी बाबत यूपी समेत कई राज्यों में लगातार दंगा भड़काने को लेकर एफ.आई.आर दर्ज की जा रही हैं। जांच एजेंसियों के खुलासे के बाद साफ हो गया है कि हाथरस कांड के पीछे कोई जातीय राजनीति नहीं बल्कि यूपी को आग में झुलसाने की एक बड़ी साजिश थी लेकिन सवाल यह है कि विपक्ष ने जिस तरह से हाथरस प्रकरण में जमकर राजनीति की, उस बीच कांग्रेस समेत अन्य दलों को इसकी भनक कैसे नहीं लगी? क्या दंगा फैलाने की कोशिश करने वाले लोगों को विपक्ष का पूरा सहयोग मिला?

दंगा भड़काने को लेकर बनाई गयी फर्जी वेबसाइट

जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हाथरस कांड के तर्ज पर दंगा भड़काने को लेकर एक फर्जी वेबसाइट का सहारा लिया गया था। इस बात की पुष्टि उत्तर प्रदेश की सरकार ने भी की है। पीड़िता को इंसाफ दिलाने की मुहिम के नाम पर कुछ लोगों ने बड़ी साजिश रची थी। इस दावे के पीछे जस्टिस फॉर हाथरस नाम की बेबसाइट है। इस वेबसाइट का सहारा लेकर कुछ लोग यूपी में जातीय दंगे कराने की बड़ी साजिश रच रहे थे ताकि योगी सरकार को बदनाम किया जा सके। वेबसाइट में साजिश के नाम पर प्रदेश व देश के अलग-अलग शहरों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की जानकारी के साथ ही लोगों से विभिन्न संवैधानिक संगठनों से न्याय मांगते हुए पत्र लिखने को कहा गया है। इस साजिश के पीछे लिप्त असामाजिक तत्वों का अभी पता नहीं चल पाया है लेकिन हाथरस कांड की आड़ में दंगा भड़काने की साजिश के पीछे विपक्ष, कुछ पत्रकारों व नागरिकता कानून विरोधी आंदोलन से जुड़े संगठनों का हाथ बताया जा रहा है।

PFI भी निशाने पर

जांच एजेंसियों के हाथ जो बड़े सबूत लगे हैं उसमें दावा किया गया है कि इस वेबसाइट में हजारों आईडी के साथ फर्जी अकाउंट जोड़े गए थे। साथ ही यूपी सरकार और एजेंसियों ने खुलासा किया है कि यूपी में दंगे भड़काने को लेकर बनाई गई इस वेबसाइट के लिए इस्लामिक देशों से जमकर फंडिंग हुई थी। जिसके बाद एक बार फिर पीएफआई सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर आ गया है। मथुरा से भी जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई है उनका लिंक PFI और SDPI से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। गिरफ्तार किए गए 4 संदिग्ध दिल्ली से हाथरस जा रहे थे ताकि दंगो को अंजाम दिया जा सके। बता दें कि PFI और SDPI वही संगठन हैं जिन पर CAA को लेकर देशभर में दंगे भड़काने का आरोप लगा था।

पूरी हो चुकी थी दंगो की तैयारी

वेबसाइट के आधार पर एजेंसियों और सरकार ने दावा किया है कि हाथरस कांड को लेकर होने वाले जातीय दंगो की तैयारी भी पूरी कर ली गयी थी। जस्टिस फॉर हाथरस नाम की इस वेबसाइट में दंगों के दौरान इस्तेमाल होने वाली चीजों के उपयोग और पुलिस के आंसू गैस और लाठीचार्ज से बचने के उपायों के बारे में पूरी जानकारी दी गई थी ताकि दंगों का अंजाम देने वाले लोगों को बचाया जा सके। वेबसाइट में आंसू गैस व लाठीचार्ज होने की दशा में बचने व दमन की शुरुआत होने पर क्या करें और क्या न करें जैसी चीजें लिखी गयी हैं।

विरोधियों को किसका मिला साथ?

हाथरस प्रकरण को लेकर पिछले कुछ दिनों में जो निष्कर्ष निकल कर सामने आया है उसके बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर विरोधियों ने किसके बलबूते इतनी बड़ी साजिश को अंजाम देने के बारे में सोचा? क्या इसके पीछे इस्लामिक संगठन पीएफआई के साथ विपक्ष का हाथ तो नहीं? विपक्ष ने पहले ही जिस तरह से हाथरस गैंगरेप को लेकर राजनीति शुरू दी है, उसने विपक्षी दलों को पहले ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है। इसके बाद पीएफआई और एसडीपीआई का नाम हाथरस प्रकरण के दंगा भड़काने में जिस तरह से शामिल हुआ उसके बाद जाहिर है कि विरोधियों को कहीं ना कहीं राजनीतिक संरक्षण जरूर मिला होगा।

क्या योगी आदित्यनाथ की छवि से घबराया विपक्ष?

कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात हो या कोरोना काल में लिए गए फैसलों की, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की जनता के बीच सबसे बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं। सीएम योगी जिस तरह से लगातार बुलंदियों को छू रहे हैं उसने विपक्ष की रातों की नींद उड़ा कर रख दी है। यही कारण है कि विपक्ष योगी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता। हाथरस गैंगरेप पर की गई सियासत इसका जीता जागता उदाहरण है। योगी आदित्यनाथ ने जब हाथरस गैंगरेप पर सीबीआई जांच गठित की तो उसका विपक्ष ने जमकर विरोध किया। योगी आदित्यनाथ ने भी किसी पार्टी का नाम लिए बिना कहा है कि कुछ लोग प्रदेश के विकास से इस तरह घबरा गए हैं कि वह यूपी में दंगे भड़काने की साजिश रच रहे हैं। लेकिन योगी सरकार ने जिस तरह से हाथरस प्रकरण पर कार्यवाही की उसने एक बार फिर विरोधियों के मंसूबों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया है।

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