अयोध्या राम मन्दिर पर एतिहासिक फ़ैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में मन्दिर बनाने की मंजूरी दे दी है। इसके साथ मुस्लिम पक्ष को दूसरी जग़ह पर मस्ज़िद बनाने के लिए 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने का फ़ैसला सुनाया है।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले पर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने असन्तोष ज़ाहिर करते हुए कहा है कि- “सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम ज़रूर है पर अचूक नहीं है। ये जस्टिस जेएस वर्मा ने कहा था। जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद को गिराया, आज उन्हीं को सुप्रीम कोर्ट कह रहा है कि ट्रस्ट बनाकर मंदिर का काम शुरू कीजिए। मेरा कहना ये है कि अगर मस्जिद नहीं गिराई गई होती तो कोर्ट क्या फ़ैसला देता?”
इसके साथ ही असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुसलमानों को 5 एकड़ ज़मीन दिए जाने के फ़ैसले पर भी असन्तोष ज़ाहिर किया है।
ओवैसी के साथ ही सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के वकील ज़फ़रयाब जिलानी ने भी इस फ़ैसले पर असन्तोष ज़ाहिर किया है। फ़ैसले के बाद ही उन्होंने प्रेस क्रॉन्फ्रेंस में कहा, “फ़ैसला पढ़ते समय सीजेआई ने सेक्युलरिज़म और 1991 के एक्ट ऑफ़ वर्शिप का ज़िक्र किया। उन्होंने ये तो माना कि टाइटल सूट नंबर चार और पांच के हक को मानते हैं लेकिन उन्होंने सारी ज़मीन टाइटल सूट नंबर पांच (हिंदू पक्ष) को दे दी। उन्होंने आर्टिकल 142 के तहत ये फ़ैसला दिया। हमें देखना होगा कि क्या 142 को इस सीमा तक खींचा जा सकता है। हम दूसरे वकीलों से ये समझेंगे और तय करेंगे कि हमें पुनर्विचार याचिका दायर करनी है या नहीं। लोगों से अपील करता हूं कि शांति और संयम बनाए रखें। ये किसी की हार या जीत नहीं है।”
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