एक तरफ कोरोना की मार दूसरी ओर बाढ़ का प्रकोप, असम, बिहार और पश्चिम बंगाल में दोतरफा आफत

नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण भारत के कुछ प्रदेशों में बाढ़ आ चुकी है। जिसमें बिहार, असम और पश्चिम बंगाल शामिल है। एक तरफ कोरोना संक्रमण की मार है तो दूसरी ओर बाढ़ का प्रकोप है। इस बार की बाढ़ से इन तीनों प्रदेशों के लगभग एक करोड़ लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है।

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वर्तमान समय में कोरोना संक्रमण ने पूरे विश्व की शांति को समाप्त कर दिया है। प्रत्येक व्यक्ति इस समय कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सारे उपाय कर रहा है। लेकिन दूसरी ओर भारत के कुछ इलाकों में बाढ़ आ चुकी है। नदियों के बढ़ते जलस्तर को बाढ़ का कारण बताया जा रहा है। पिछले दिनों लगातार हुई बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया है। जिसके कारण उनसे सटे गांव और शहर पानी में डूब चुके हैं। बिहार के मौसम विभाग ने दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण समेत वैशाली और गोपालगंज के लिए अलर्ट जारी किया है। इससे पहले बिहार के मधुबनी और मुजफ्फरपुर के अधिकांश हिस्से पानी में डूब चुके हैं। दूसरी तरफ असम में हुई लगातार तेज बारिश के कारण बाढ़ आ चुकी है। जिससे लगभग 70 लाख लोगों का जीवन प्रभावित हो चुका है। पश्चिम बंगाल के मालदा और जलपाईगुड़ी के अलावा कई जिलों में भी इस बार नदियों ने विकराल रूप ले लिया है।

बिहार में बाढ़ का विकराल रूप

एक तरफ जहां बिहार में लगातार कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बिहार में बाढ़ का प्रकोप भी देखा जा रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक़, आठ ज़िलों के 150 से अधिक ग्राम पंचायत क्षेत्रों में रहने वाले तीन लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। 12 हज़ार से अधिक की आबादी अपने घरों से बाहर है। पाँच राहत शिविर चलाये जा रहे हैं। गोपालगंज में रहने वाले लोगों से ऊंचे क्षेत्र में जाने के लिए कहा है। पिछले 24 घंटे में बागमती के जलस्तर में भी वृद्धि हुई है। जिससे लगभग 76 सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ा है। यह खतरे के निशान से 83 सेंटीमीटर ऊपर है। बिहार के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि ऐसे में जब सरकार लोगों से स्टे होम का पालन करने को कह रही है। तब यह लोग कैसे स्टे होम हो पाएंगे? यह लोग तो बाढ़ की डर से अपने घरों को छोड़कर भाग रहे हैं।

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असम के लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार अब तक असम में 85 लोगों की मौत बाढ़ के कारण हो चुकी है। राज्य के मुख्यमंत्री ने बताया इस बाढ़ के कारण असम की लगभग 70 लाख लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। आपदा विभाग की रिपोर्ट में बताया गया है कि 2,254 गाँव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं और सोमवार रात तक 24 लाख 30 हज़ार 502 लोग प्रभावित हुए हैं। वहाँ के लोगों का कहना है, “कोरोना वायरस के कारण रोज़गार के रास्ते पहले ही पूरी तरह बंद हो गए थे और अब बाढ़ ने घर-खेत तबाह कर दिये हैं। आगे क्या करेंगे, कुछ सोच ही नहीं पा रहें हैं।”

बाढ़ ने बर्बाद कर दी पश्चिम बंगाल के लोगों की जिंदगी

भूटान में लगातार हुई बारिश के कारण उत्तरी बंगाल के कई ज़िलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गयी है। उद्गम स्थल पर बारिश से हर साल कूचबिहार, अलीपुरदुआर और जलपाईगुड़ी इलाके बाढ़ के पानी में डूब जाते हैं। सिंचाई विभाग ने जलपाईगुड़ी ज़िले के दोमोहनी से लेकर मेखलीगंज तक तमाम तटवर्ती इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर दिया है। पश्चिम बंगाल के लोगों का जीवन इस बाढ़ के कारण अस्त व्यस्त हो गया है। जीवन इस तरह प्रभावित हुआ है कि वहाँ के किसानों को अपने गेहूं सुखाने के लिए आग जलानी पड़ी है। तब जाकर कुछ फसल बच पायी है।

एक तरफ पूरे विश्व पर कोरोना दूसरी तरफ बाढ़ का प्रकोप निश्चित रूप से यह मानवता के लिए बहुत बड़ा सबक है और बहुत कठिन समय भी है। अगर हम बिहार की बात करें तो बिहार में सदैव ऐसे ही बाढ़ आती रहती है लेकिन बिहार की सरकार ने अभी तक कोई भी ऐसा बड़ा कदम नहीं उठाया है जो इस बाढ़ को रोकने में या आसपास के गांवों को सुरक्षित करने के लिए एक स्थाई कदम हो। अगर सरकार और प्रशासन कुछ ऐसे कदम उठाएं जो भविष्य में ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए स्थाई हो तो निश्चित रूप से ऐसी समस्याएं मानवता का ज्यादा नुकसान नहीं कर पाएंगी।

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