हमारे देश में बहुत सारे अद्भुत फैसले सुनाए जाते हैं। लेकिन पंजाब के गांव हल्का पट्टी में पंचायत में जिस प्रकार का निर्णय लिया है वह हास्यास्पद है। यहां पर आंदोलन को जबरदस्ती बढ़ाने के लिए लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है। लोगों ने पंचायत करके यह फैसला लिया है कि गांव के प्रत्येक परिवार से एक व्यक्ति कृषि संशोधन कानूनों के खिलाफ आंदोलन में शामिल होगा, यदि वह ऐसा नहीं करता है तो उस पर 1500 रूपये का जुर्माना लगेगा। वही इस फैसले को ना मानने वाले व्यक्ति का समाज बायकॉट भी करेगा। अब यह बात देखने वाली है कि यह कैसा आंदोलन है जिसमें लोगों को जबरदस्ती शामिल होने के लिए धमकाया जा रहा है?
संसद में भी केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर विवाद जारी है। इसी हंगामे पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से चर्चा के लिए हर समय तैयार है। वही उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बॉर्डर गाजीपुर बॉर्डर पर स्वयं को किसानों का नेता बताने वाले राकेश टिकैत का कहना है कि यह आंदोलन अब जल्दी समाप्त होने वाला नहीं है। अक्टूबर से पहले इसका कोई समाधान नहीं निकल सकता। कानून वापसी से पहले हम घर नहीं जाएंगे। दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने के लिए दिल्ली पुलिस ने सड़कों को खोदकर उसमें किले लगा दी हैं। वही ट्रिपल लेयर की सुरक्षा भी दिल्ली की सड़कों पर की गई है। इस पूरे मामले पर सवाल उठे तो दिल्ली के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा, “जब पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया तो किसी ने सवाल नहीं पूछा,जब बैरिकेड तोड़े गए तब किसी ने सवाल नहीं पूछा। हमने बैरिकेडिंग मजबूत की है जिससे दोबारा तोड़ा ना जा सके।