शिवसेना का वजूद और भविष्य हिंदुत्व और बालासाहेब ठाकरे की सोच के साथ चलना था लेकिन किसने सोचा था कि एक दिन सत्ता की लालच में आकर यही पार्टी बालासाहेब ठाकरे की विचारों को ही कुचल देगी? महाराष्ट्र की सत्ता में बैठी शिवसेना और पार्टी के मुखिया उद्धव ठाकरे के खिलाफ उन्हीं लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है जिन्होंने उन्हें महाराष्ट्र की सत्ता सौंपी थी।
पालघर में अप्रैल महीने में 2 साधुओं की हत्या के बाद हर किसी की नज़रें उद्धव ठाकरे पर थी। पार्टी के नेताओं तक को इस बात का भरोसा था कि शिवसेना संतों को इंसाफ दिलाने में कोई देर नहीं करेगी। लेकिन इस सिक्के के दो पहलू निकले। साधुओं को इंसाफ मिलना तो दूर, महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले को शांत करने पर ज़ोर दिया। लोगों ने इस केस पर CBI जाँच बैठाने की मांग की तो महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामले की जांच सीबीआई से नहीं कराने की बात कही। सरकार ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है। ये उन साधुओं से जुड़ा मामला था जिनके लिए बालासाहेब ठाकरे जान तक देने को तैयार रहते थे।
पालघर मॉब लिंचिंग को हुए ज्यादा समय नहीं बीता था कि महाराष्ट्र सरकार और बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत आमने सामने आ गए। ये मामला महिला से जुड़ा था। यहाँ उद्धव ठाकरे के पास मौका था कि वह सुशांत के केस पर कार्यवाही और कंगना के लिए स्टैंड लेकर लोगों के भरोसे को जीते। लेकिन यहाँ भी लोगों की सोच से उल्टा ही हुआ। हर दिन शिवसेना नेताओं ने कंगना के लिए अपशब्द कहे और उन्हें धमकियां दी। इतना ही नहीं, कंगना रनौत के मुंबई दफ्तर पर शिवसेना ने बुल्डोजर चलाकर बता दिया है कि प्रदेश में सरकार ही अब गुंडा बन चुकी है।
कंगना के डर से उनके दफ्तर पर बुल्डोजर चलाने के बाद साफ हो गया है कि एक महिला ने पूरी सरकार को हिला कर रख दिया है। जिस सुशांत सिंह राजपूत, कंगना रनौत और पालघर लिंचिंग में मारे गए संतो के साथ पूरा देश खड़ा है, उन्हीं के खिलाफ शिवसेना कार्यवाही करने पर उतारू है। महाराष्ट्र की मौजूदा स्थिति इस बात की गवाह बन चुकी है कि शिवसेना ने बुल्डोजर कंगना के दफ्तर पर नहीं बल्कि बालासाहेब ठाकरे के विचारों और उनके आदर्शों पर चलाया है।