अब कोरोना तोड़ेगा जयपुर शहर की सदियों पुरानी ये परंपरा

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Bole India: Now Corona will break this age old tradition of Jaipur city

जयपुर | कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते दुनिया के सभी देश इस मुश्किल हालात से गुजर रहे है। इस महामारी ने ऐसा पांव पसरा है कि आमजन भी अब एक दूसरे को अपने नजदीक भी भटकने नहीं देना चाहते। इस प्रकोप के बीच ही जयपुर में गणगौर का पर्व आ गया। जयपुर गणगौर पर्व पर ढाई शो बंदूकधारी सैनिक गणगौर माता को गार्ड ऑफ ऑनर के रूप में देते है। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा जनहित में लगाये गए ये कर्फ्यू के चलते इस बार गणगौर पर्व भी रद्द कर दिया है। इसके चलते शहर वासियों के साथ ही सैलानियों को प्रदेश की रंगारंग संस्कृति और लोक गीत संगीत के मनमोहक नजारे भी अपने कैमरे या मोबाइल में कैद नहीं हो सकेंगे ।

दरअसल हर वर्ष गणगौर पर्व के दौरान दो दिनों तक जयपुर के सिटी पैलेस से निकलने वाली गणगौर माता की परंपरागत सवारी, अब कोरोना वाइरस के कारण नहीं निकलेगी। ओएसडी रामू रामदेव के मुताबिक सिटी पैलेस में गणगौर माता की पूजा अर्चना कर समृद्धि और शांति की कामना की जाएगी। अन्य कोई भी कार्येक्रम नहीं किये जायेंगे। जयपुर में कर्फ्यू के चलते परंपरागत तरीके से मिट्टी के ईसर गणगौर बनाकर बेचने वालों के रोजगार पर भी संकट खड़ा हो गया। इन लोगों को मिटटी के बनाए गए ईसर गणगौर की कलाकृतियों को अब बेचने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

गणगौर का पर्व 27 मार्च को मनाया जाएगा इसे लेकर महिलाओं में अपार उत्साह रहता है। श्रृंगार के प्रतीक इस त्योहार में महिलाएं समूह बनाकर गीत गाती है, पूजा-अर्चना करती है और नृत्य करते हुए खुशियां मनाती हैं। साथ ही शिव-पार्वती की तरह अपने दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाने की कामना करती हैं।

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