कृषि कानूनों के खिलाफ 50 से ज्यादा दिन हो चुके हैं लेकिन किसान अभी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। सरकार का कहना है कि हम किसी भी हालत में कानूनों को वापस नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनाई गई। कमेटी के पास भी किसान संगठनों के प्रतिनिधि जाने को तैयार नहीं है उनका आरोप है कि इस कमेटी में केवल उन लोगों को शामिल किया गया है जो सरकार के समर्थक हैं। इसी बीच बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने किसान आंदोलन से जुड़े 50 से अधिक नेताओं और कारोबारियों को समन भेजा है और इनमें से कुछ लोगों से शनिवार को पूछताछ भी कर ली गई है। पटियाला के NRI दर्शन सिंह धारीवाल से दिल्ली एयरपोर्ट पर ढाई घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई, वहीं पटियाला में बब्बर खालसा के आतंकी जगतार सिंह हवारा के पिता गुरु चंद्र सिंह और किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को भी एनआईए ने समन भेजा है।
एनआईए की नजर लुधियाना के 17 कारोबारियों पर है जिन्होंने दिल्ली आकर आंदोलन में सामान बांटा था।सूत्रों के अनुसार लुधियाना,पटियाला,तरनतारन और अमृतसर के ट्रांसपोर्टर्स के जवाबों की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग हुई है। कार्यवाही पूरी होने के पश्चात सभी को फंड और फ्री सर्विस देने का रिकॉर्ड 21 जनवरी को लेकर आने के लिए कहा गया है। सरकार तथा किसानों के बीच के मसले को समझते हुए न देखकर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया और केंद्र सरकार तथा किसान नेताओं को फटकार लगाई। केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आप इस मामले को नहीं संभाल सकते तो हम इस मामले को संभालेंगे यदि आप इस कानून को रद्द नहीं करेंगे तो हम तत्काल इस कानून पर रोक लगाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने दूसरे फेस में एक कमेटी का गठन किया है जो इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौपेगी। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यदि कोई भी व्यक्ति इस मामले का समाधान चाहता है तो उसे कमेटी के पास अवश्य जाना चाहिए लेकिन अगर आप अनिश्चितकालीन प्रदर्शन करना चाहते हैं तो आप इसके लिए स्वतंत्र हैं।