हमारे देश भारत में कई सालों बाद एक नई शिक्षा नीति लागू हुई है। जिसके द्वारा किताब में लिखे गए कुछ अक्षरों को ही केवल शिक्षा नहीं माना जाएगा अपितु विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ संस्कार भी दिए जाएंगे। यह बताया जा रहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नए निर्देश जारी करते हुए कहा है कि कक्षा एक से कक्षा 10 तक के विद्यार्थियों के बैग का वजन उनके शरीर के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए। क्योंकि अधिकतर अभिभावकों की ओर से शिकायत आती है कि छोटे छोटे बच्चों के कंधो पर इतने भारी भरकम बैग लाल दिए जाते हैं जिससे उनका बचपन धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है और बच्चे प्रेशर में आग लगते हैं।
यह भी माना जा रहा है कि कक्षा दो तक के विद्यार्थियों को वह किसी प्रकार का होमवर्क नहीं दिया जाएगा,विद्यालयों में वजन करने वाली मशीनों को रखा जाएगा,स्कूलों के अंदर ठीक प्रकार से पानी उपलब्ध कराया जाएगा इसके अलावा ट्रॉली वाले बैगों पर रोक लगाई जाएगी। नीति दस्तावेजों के अनुसार ट्रॉली वाले बैगों पर इसीलिए रोक लगाई गई है क्योंकि सीढ़ियों से उतरते हुए या चढ़ते हुए जिए बैग बच्चों के लिए किसी समस्या को आमंत्रण दे सकते हैं।
इस नई बैग नीति के अनुसार कक्षा दो तक के बच्चों को किसी भी प्रकार का कोई होमवर्क नहीं दिया जाएगा।9वीं से लेकर 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों को प्रतिदिन 2 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा। तीसरी चौथी तथा पांचवी कक्षा के विद्यार्थियों को हफ्ते में 2 घंटे का होमवर्क दिया जाएगा। शिक्षा नीति में कहा गया है कि कक्षाओं को बेहद ही लचीला बनाया जाए जिसके द्वारा विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम के अलावा पुस्तक पढ़ने का समय मिल सके। वास्तव में अगर इस तरह की शिक्षा नीति भारत में ठीक प्रकार से लागू हो रही है तो निश्चित रूप से यह माना जा सकता है कि विद्यार्थी केवल धन अर्जित करने के लिए शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे,अपितु राष्ट्र को उन्नति के मार्ग पर ले जाने के लिए शिक्षा ग्रहण करेंगे।