जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) का इतिहास और इस राज्य की समस्या आज तक किसी से छिपी नहीं है। सरकारें बदलती गयी, समय बदलता गया लेकिन अगर कुछ नहीं बदला तो वो था जम्मू- कश्मीर का विकास। आज़ादी के बाद से आजतक जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को लेकर एक लंबी बहस चली आ रही है। इस विवाद को खत्म करने के लिए एक ऐसी राजनीतिक पार्टी की जरुरत थी जो कड़े फैसले ले सके। वो फैसले जो आज तक किसी पार्टी के अंदर लेने की हिम्मत तक पैदा न हुई हो।
लेकिन प्रचंड बहुमत से लगातार दूसरी बार सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार ने बता दिया कि उन्हें बड़े से बड़े फैसले आसानी से लेने वाली सरकार क्यों कहा जाता है। हाल ही में मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को पूरी तरह से खत्म कर दिया। पिछले 70 सालों में ये फैसला किसी सरकार के जहन में भी नहीं आया।
2014 के बाद सत्ता संभालने वाली मोदी सरकार 370 हटाने के अलावा पहले भी इस राज्य को लेकर कई बड़े फैसले ले चुकी है। आज हम आपको मोदी सरकार के उन्ही फैसलों के बारे में बताने वाले है तो जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) की तस्वीर बदल कर रख देंगे।
अलगाववादियों की सुरक्षा हटाई
पुलवामा हमले के बाद मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए थे। इसमें से एक फैसला जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों की सुरक्षा हटाए जाने का भी था। कई अलगाववादी नेताओं का नाम टेरर फंडिंग में था जिसके चलते मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के 18 अलगाववादियों और 155 नेताओं का सुरक्षा कवर हटाने का फैसला किया था। इन नामों में पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के करीबी वाहिद मुफ्ती और पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल, आगा सैयद मोस्वी और मौलवी अब्बास अंसारी जैसे नाम शामिल रहे।
ऑपरेशन ऑल-आउट
घाटी में आतंकियों की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए मोदी सरकार ने 2017 में ऑपरेशन ऑल-आउट चलाया था। इस ऑपरेशन के तहत घाटी में 2017 और 2018 के बीच सुरक्षाबलों ने 250 से ज्यादा आतंकी मार गिराए थे। इस ऑपरेशन के जरिए सरकार आतंकी संगठनों की कमर तोड़ने में सफल रही।
7 साल के बाद फिर हुआ पंचायत चुनाव
घाटी में सुरक्षा कारणों को मद्देनजर रखते हुए विधानसभा चुनावों के अलावा पंचायत चुनावों पर भी रोक लगती आ रही थी। पंचायतों का कार्यकाल 2016 में ही खत्म हो गया था लेकिन 2018 के अक्टूबर महीने में केंद्र सरकार पंचायत चुनाव कराने में सफल रही। इस प्रक्रिया के तहत कुल 316 प्रखंडों के 4490 पंचायतों में चुनाव कराए गए।
समस्या के हल के लिए नियुक्त हुआ वार्ताकार
मोदी सरकार ने कश्मीर समस्या के हल के लिए 2017 में आईबी के पूर्व डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त किया। दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त करने का सबसे बड़ा कारण जम्मू-कश्मीर की ज्यादा से ज्यादा समस्या को बातचीत से हल करना था। अब तक वह जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के कई नेताओं और विभिन्न प्रतिनिधिमंडल से वार्ताएं कर चुके है।
घाटी के विकास के लिए आवंटित हुए 3700 करोड़
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के गांवों के विकास के लिए केंद्र सरकार की तरफ से 3700 करोड़ रुपये आवंटित किए। हाल में गृह मंत्री अमित शाह ने बताया था कि केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए 3700 करोड़ रुपए आवंटित किए है, जिन्हें सीधे पंचायतों को भेजा जा रहा है।
महबूबा मुफ़्ती और फारूक अब्दुल्ला पर कसा शिकंजा
दूसरी बार सत्ता सँभालते ही मोदी सरकार ने सबस पहले महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला पर शिकंजा कसना शुरू किया। हाल ही में जम्मू-कश्मीर क्रिकेट बोर्ड में हुए 113 करोड़ से अधिक घोटाले के मामले में ईडी ने चंडीगढ़ में फारूक अब्दुल्ला से पूछताछ की जबकि जम्मू -कश्मीर बैंक में सिफारिश के आधार पर हुई 1200 से अधिक नियुक्तियों के मसले पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को नोटिस जारी कर जवाब मंगा है।
जम्मू-कश्मीर के बैंक चेयरमैन को किया बर्खास्त
जम्मू-कश्मीर बैंक में फर्जी नियुक्तियों और कथित टेरर फंडिंग के आरोपों में जम्मू-कश्मीर बैंक के चेयरमैन पद से परवेज अहमद को हटा दिया गया। उनकी जगह हाल ही में ये पद आरके छिब्बर को दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षण संशोधन बिल
मोदी सरकार की ओर से लाया गया यह विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। घाटी के विकास के लिए ये बिल काफी लाभदायक होगा। इस विधेयक के तहत जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 3 फीसदी आरक्षण को विस्तार दिया गया है।
धारा 370 का सफाया
पिछले 70 सालों में जम्मू-कश्मीर को लेकर जो सरकार फैसला नहीं ले पाई वो सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने लिया। जम्मू-कश्मीर का नया अध्याय लिखने के लिए केंद्र सरकार ने धारा 370 को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) को जहां केंद्रशासित प्रदेश बनाने का फैसला किया गया, वहीं लद्दाख को अलग राज्य बनाए जाने की घोषणा की गई। 370 हटने के साथ ही अब जम्मू- कश्मीर में एक नयी सुबह की शुरुआत होगी।
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