माँ को है कैंसर, दौड़ने के लिए नहीं है कोई जगह, फिर भी देश के लिए मेडल जीतना चाहता है ये युवा खिलाड़ी

दिल्ली के ललित माथुर ओलंपिक में देश को मेडल दिलाना चाहते हैं जिसके लिए वह जमकर पसीना बहा रहे हैं। ललित की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है लेकिन इसके बावजूद उनके अंदर मेडल जीतना का जज़्बा कायम है।

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कुछ कर गुजरने का जुनून जिसमें हो वे हालात नहीं देखा करते, इस कहावत को खेलों की दुनिया के युवा सितारें कई बार सच साबित करते आए हैं। दिल्ली के रहने वाले ललित माथुर की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। 6 बार के राष्ट्रीय चैंपियन ललित माथुर का सपना ओलंपिक में देश के लिए मेडल जीतना है। गंभीर चोट से पीड़ित होने के बाद भी ललित ने अपने जज़्बे को कभी कम नहीं होने दिया।

ललित की माँ इस समय कैंसर से पीड़ित हैं जबकि उनके पिता खेती करते हैं। चोट के चलते ललित को दौड़ने में भी थोड़ी परेशानी है। उनका सपना देश को मेडल दिलाना है जिसके लिए वह हर रोज़ जमकर पसीना बहा रहे हैं। 2017 में ललित को दिल्ली रेलवे स्टेशन की स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था।

रेलवे कोटे से उन्हें नौकरी भी दी गई लेकिन इससे उनके परिवार की परेशानी कभी कम नहीं हुई। दिल्ली सरकार से उन्होंने मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। इतना ही नहीं, ललित को दौड़ने के लिए भी कोई सुविधा नहीं मिल रही है। जिसके चलते उन्हें पार्क में दौड़ना पड़ रहा है।

ललित की बात करें तो उन्होंने एशियन ट्रैक फील्ड चैंपियनशिप (2017), यूरोपियन ग्रैंड व‌र्ल्ड यूनिवíसटी चैंपियनशिप (2015), कॉमनवेल्थ गेम्स और लुसोफोनिया गेम्स (2014) में कई पदक जीते हैं। रियो ओलंपिक में भी ललित 400 मीटर की दौड़ में शामिल हो चुके हैं।

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